नई दिल्ली: नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉक्टर वी के पॉल ने कोरोना से जंग में आज एक अहम जानकारी साझा की है. डॉ पॉल ने कहा कि भारत में कोरोना से लड़ने के लिए कई दवाइयों और वैक्सीन पर काम काफ़ी आगे बढ़ रहा है. उनके मुताबिक़ देश में 8 प्रकार के वैक्सीन पर निजी संस्थानों में जबकि 6 प्रकार के वैक्सीन पर सरकारी प्रयोगशालाओं में काम हो रहा है.

डॉ पॉल ने बताया कि जिन वैक्सीन पर निजी संस्थान और कम्पनियां काम कर रही हैं उनमें से 4 पर काफ़ी प्रगति हो चुकी है. वहीं जिन वैक्सीन पर सरकारी लैबों में काम चल रहा है उनमें से 2-3 पर काम काफी आगे बढ़ चुका है. हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि अभी वैक्सीन पर काम किस स्टेज पर है.

दवाइयों पर भी काम तेज़ी से जारी

डॉ वी के पॉल ने उन दवाइयों के बारे में भी जानकारी दी जिनपर स्वदेश में ही काम चल रहा है ताकि उनका इस्तेमाल कोरोना महामारी के इलाज में हो सके . जिन दवाइयों पर काम हो रहा है उनमें Feviperasir, ACQH, BCG Vaccine, Micro Bacterium W, Arbidol और हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन ( HCQ) शामिल हैं. इसके अलावा कुछ अन्य दवाइयों और इलाज़ पर भी ट्रायल चल रहा है. इसमें प्लाज़्मा थेरेपी भी शामिल है .

हालांकि सरकार ने ये भी साफ़ किया कि वैक्सीन बनने के साथ ही ये लोगों तक पहुंच जाएगा, ये कहना मुश्किल है . सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रो के विजय राघवन ने कहा कि भारत में वैक्सीन बनाने की क्षमता दुनिया में सर्वोत्तम स्तर की है, साथ में उनका यह भी कहना है कि कोरोना महामारी की भयानकता को देखते हुए ये काम दुरूह भी है. उन्होंने कहा कि महामारी को देखते हुए केवल एक तरह के नहीं बल्कि कई तरह के वैक्सीन बनाने के लिए निवेश की ज़रूरत पड़ेगी जो थोड़ा महंगा भी पड़ेगा.

राघवन ने बताया कि भारत में क़रीब 30 ग्रुप ऐसे हैं जो वैक्सीन खोजने में लगे हैं. इनमें बड़ी कम्पनियों से लेकर नए स्टार्ट अप तक शामिल हैं. उनके मुताबिक़ कई भारतीय कम्पनियां विदेशी कम्पनियों के साथ भी सहभागिता कर रही हैं. राघवन ने कहा कि जबतक वैक्सीन या दवा नहीं आती है तबतक लोगों को सोशल डिटेंशिंग और साफ सफ़ाई के सहारे इस महामारी से लड़ना होगा.

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