नई दिल्ली: कोरोना संकट के बीच देश की राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों से ऑक्सीजन की कमी को लेकर खबरें आ रही हैं. रोज़ाना बढ़ते संक्रमण के मामलों की वजह से बेहद कम वक्त में ही ऑक्सीजन की मांग में बड़ा इज़ाफा हुआ, जिसके चलते ऐसी स्थितियां बनीं. ऑक्सीजन की मांग और कोरोना संक्रमण में इसकी अहमियत को लेकर एबीपी न्यूज़ ने ऑक्सीजन सप्लायर संजीव मल्होत्रा से बात चीत की.


ऑक्सीजन सप्लायर संजीव मल्होत्रा ने बताया कि कमी इतनी ज्यादा है कि इसको संभालना मुश्किल हो चुका है. उन्होंने कहा, "किसी के पास मशीनें नहीं हैं क्योंकि कोरोना टाइम में जब लोग थोड़ा रिलैक्स हो गए तो उसके बाद लोगों ने मशीनें मंगाना बंद कर दिया या कम कर दिया. इस वजह से स्टॉक बिल्कुल खत्म हो चुका है. अब धीरे-धीरे लोग बाहर से मंगा रहे हैं, ताकि जितनी भी कमी है, उसको पूरा किया जा सके ताकि किसी पेशेंट की मौत ना हो. 


उन्होंने कहा, "मशीनें बुधवार तक आना शुरू हो जाएंगी और धीरे-धीरे सप्लाई शुरू हो जाएगी. हम लोगों से रिक्वेस्ट करते हैं कि अपने पर्सनल यूज़ के लिए ऑक्सीजन ना लें, जिनको जरूरत है उनको पहले लेने दें अपने घर के लिए बाद में लें."


संजीव मल्होत्रा ने कहा, "किसी को पता ही नहीं चल रहा कि उसे कोरोना है या फिर नहीं है. बाद में पता चलता है. कोई लक्षण नहीं है. तो डर की वजह से भी लोगों ने घर में मशीन रखना शुरू कर दिया है. क्योंकि आज की डेट में कोई भी अगर एक पॉजिटिव हो रहा है, तो पूरा घर पॉजिटिव हो रहा है. तो डर की वजह से लोगों ने मशीन अपने घर में रखना शुरू कर दिया है.


ऑक्सीजन सिलेंडर की मौजूदा स्थिति को लेकर संजीव मल्होत्रा ने कहा, "इस वक्त किसी के भी पास मौजूद नहीं है. बहुत मुश्किलों से सिलेंडर मिल पा रहे हैं. हॉस्पिटल में सप्लाई नहीं है. जब वहां पर नहीं होगी तो बाकी पेशेंट जो घर पर हैं, उन्हें कहां से मिलेगी. अगर घर पर भी पेशेंट को मिल जाए तब भी उसकी लाइफ बचाई जा सकती है."


ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाज़ीर पर उन्होंने कहा, "ऑक्सीजन को लेकर सिलेंडर में कालाबाजारी का नहीं कह सकते, लेकिन जो पीछे भरने वाले हैं उनके पास इतना लोड है. उन्होंने डबल लेबर लगाई हुई है. उनकी कॉस्टिंग बढ़ी हुई है. कंसंट्रेटर की भी बात करें तो उसमें भी एडिशनल सिर्फ वही लिया जा रहा है, क्योंकि पहले समंद्र के रास्ते आता था. उससे माल ढुलाई कम पड़ता था. अगर आज की डेट में उसको हम एअरलिफ्ट कराते हैं तो माल ढुलाई कम से कम नहीं तो एक मशीन के ऊपर 8 से 10000 रुपये का लगता है. हम यह नहीं कह सकते कि ब्लैक मार्केटिंग हो रही है. आगे कॉस्ट आ रही है, उसी को बढ़ा कर लिया जा रहा है. किसी के पास कोई ऑप्शन नहीं है. ब्लैक मार्केटिंग का ऑक्सीजन के अंदर कोई सवाल ही नहीं बनता."


उन्होंने बताया, "पहले 300 से 400 रुपये में रीफिल हुआ करता था और सिलेंडर 6 से 7000 रुपये का आता था. आज की डेट में 10 से लेकर के 13-14 हज़ार तक का सिलेंडर मिल रहा है. फिर हजार से 12 सौ रुपये उसकी रीफिलिंग के लिए लिया जा रहा है, क्योंकि उसमें ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट भी होती है. मेरे ख्याल से इसका रेमडेसिविर की तरह कोई ब्लैक मार्केटिंग नहीं है.