नई दिल्ली: दिल्ली में जून महीने के अंत तक करीब 15,000 बेड की आवश्यकता होगी, क्योंकि तब तक कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर एक लाख तक पहुंचने की आशंका है. दिल्ली सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में एक विशेषज्ञ समिति ने यह आशंका जताई है.


इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति महेश वर्मा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति का गठन दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने किया था और इसने शनिवार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी.


नाम नहीं बताने की शर्त पर समिति के एक सदस्य ने कहा, "इसमें बिस्तरों की संख्या बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया है. हमें मामलों में उछाल के मद्देनजर तैयार रहना होगा. वर्तमान में हमारे पास करीब 9,500 बिस्तर हैं. हर दो सप्ताह में मामले दोगुना हो रहे हैं. हमने पूर्वानुमान लगाया है कि हमें जून के अंत तक 15,000 से अधिक बिस्तरों की जरूरत होगी और जुलाई में और अधिक बिस्तर की आवश्यकता होगी."


उन्होंने बताया कि करीब 20-25 फीसदी मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है, जबकि पांच फीसदी को वेंटिलेटर या आईसीयू की जरूरत होती है.


रिपोर्ट में समिति ने बढ़ते मामलों से निपटने के लिए और अधिक सरकारी एवं निजी अस्पतालों को कोविड-19 अस्पताल के तौर पर तब्दील करने की सिफारिश की है. रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि इस महीने के अंत तक कोविड-19 के मामले एक लाख के आंकड़े को छू सकते हैं.


समिति के सदस्य ने कहा, "कुछ नर्सिंग होम को कोविड-19 के इलाज के लिए तब्दील किया जा सकता है. कुछ क्लब और स्टेडियम को भी काम चलाऊ अस्पताल के तौर पर तैयार किया जा सकता है, जिसमें बिस्तर के साथ ही ऑक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध हो."


अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली में अब तक कोरोना वायरस के 29,000 से अधिक मामले सामने आए हैं, जबकि मृतकों का आंकड़ा 874 तक पहुंच चुका है.