नई दिल्लीः पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है. दुनियाभर में इस वायरस से संक्रमण के लगभग 1 करोड़ 40 लाख मामले सामने आ चुके हैं. भारत में भी इसका बड़ा असर पड़ा है और यहां 10 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं, जबकि 25 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच इस वायरस की वैक्सीन पर काम चल रहा है. कुछ वक्त पहले ही ब्रिटेन की प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक वैक्सीन के ट्रायल की शुरुआत की थी और उसमें भारतीय नागरिक दीपक पालीवाल भी शामिल हुए थे. दीपक पालीवाल ने ABP न्यूज से खास बातचीत में इस ट्रायल के बारे में बताया.


एक हफ्ते के अंतराल में दिए गए 2 डोज


जहां एक तरह दुनिया को कोरोना की वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है, तो वहीं भारत समेत कई देशों के वैज्ञानिक अपनी-अपनी विकसित की गई वैक्सीनों के ट्रायल कर रहे हैं. मई के महीने में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने सबसे पहले ट्रायल का एलान किया था. इसी ट्रायल में भारत के दीपक पालीवाल भी शामिल हुए थे.


एबीपी न्यूज से खास बातचीत में दीपक ने बताया कि उन्हें उनके एक दोस्त ने इस ट्रायल के बारे में बताया और फिर दीपक इसमें शामिल हुए. इस दौरान पहले दीपक का टेस्ट हुआ और फिट पाए जाने पर ही उन्हें ट्रायल में शामिल किया गया.


दीपक ने बताया कि उन्हें वैक्सीन के दो डोज दिए गए थे. दीपक ने कहा, “वैक्सीन का पहला डोज 11 मई को दिया गया और फिर अगला डोज 1 हफ्ते बाद दिया गया. कुछ ऐसे बदलाव नहीं दिखे जो नोटिस किए गए.” उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक रोज उन्हें मॉनिटर कर रहे थे और उन्हें ई-डायरी में अपनी जानकारी भरनी पड़ती थी. खास बात ये है कि डोज लेने के कुछ देर बाद उन्हें घर भेज दिया गया था.


तीसरे चरण में ट्रायल, अक्टूबर-नवंबर तक आ सकती है वैक्सीन


दीपक ने बताया कि वो इस ट्रायल के दूसरे चरण का हिस्सा थे, जिसमें उनको मिलाकर 1000 वॉलंटियर्स को वैक्सीन के डोज दिए गए और अब ये वैक्सीन तीसरे चरण के ट्रायल में है, जिसमें 10 हजार से ज्यादा वॉलंटियर्स शामिल हुए हैं.


दीपक ने बताया कि जल्द ही इस मामले में खुशखबरी मिलेगी. उन्होंने कहा, “दवा बनाने वाली कंपनियों ने इस वैक्सीन का निर्माण शुरू कर दिया है और अक्टूबर-नवंबर तक ये वैक्सीन लॉन्च हो सकती है.”


परिवार को नहीं दी थी जानकारी


हालांकि, दीपक पालीवाल ने माना कि इस ट्रायल को लेकर उन्हें भी डर लगा था क्योंकि किसी भी नई दवा के ट्रायल के विपरीत परिणाम भी निकल सकते हैं, लेकिन फिर भी वो इसके लिए आगे बढ़े और उन्होंने अपने परिवार को भी नहीं बताया.


दीपक ने बताया, “डर था, लेकिन हमने सोचा कि हमारे जरिए किसी को फायदा मिलेगा और हमें भी मिलेगा. हमने परिवार को नहीं बताया था क्योंकि बताने पर वो नहीं मानते.” हालांकि उनके परिवार को काफी बाद में पता चला और उन्होंने भी इस पर खुशी जताई.


इसके साथ ही दीपक ने बताया कि ये वैक्सीन इंजेक्टेबल है यानी इसे सीधे सेवन करने के बजाए इंजेक्शन के जरिए शरीर में दाखिल की जाती है और इसके बाद कुछ देर के लिए हाथ में दर्द महसूस होता है.


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