Controversy Erupts Over Malappuram District: केरल के मलप्पुरम जिले को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. इस राज्य में SNDP योगम के जनरल सेक्रेटरी वेल्लापल्ली नटेशन ने अपने एक संबोधन में मलप्पुरम जिले को 'अलग देश' बता दिया. उनका यह बयान राज्यभर में चर्चा का विषय बन गया है और इसपर राजनीतिक, सामाजिक समुदायों से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
नटेशन ने शुक्रवार को चंगठारा क्षेत्र में एक सम्मेलन के दौरान कहा, 'मलप्पुरम में ताजा हवा में सांस नहीं ले सकते. यहां स्वतंत्र विचार व्यक्त करना भी मुश्किल है. मलप्पुरम एक अलग देश है, यह एक अलग लोगों का राज्य है.'
नटेशन ने यह भी आरोप लगाया कि मलप्पुरम जिले में पिछले दशकों में पिछड़े समुदायों को कोई सामाजिक और आर्थिक लाभ नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि उनके समुदाय के लोग मलप्पुरम में गुलाम जैसी स्थिति में जी रहे हैं और उन्हें बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं. उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि मलप्पुरम में उनके समुदाय के लिए कोई श्मशान घाट नहीं है.
IUML के अध्यक्ष ने की बयान की निंदा
नटेशन के इस बयान पर भारतीय यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के अध्यक्ष सैयद सदिक अली शिहाब थंगल ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, 'मलप्पुरम एक ऐतिहासिक जिला है, जहां कई लेखक, कलाकार और मंदिरों का इतिहास है. यह जिला केवल एक समुदाय का नहीं है, बल्कि सभी समुदायों का है. उन्होंने यह भी कहा कि नटेशन का बयान समाज में दरार डालने की कोशिश है.
हालांकि, नटेशन ने रविवार को अपने बयान पर कायम रहते हुए कहा कि वह अपनी बात नहीं बदलेंगे. उनका कहना है कि उन्होंने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया और न ही उनकी बातों में कोई नफरत थी. उन्होंने यह भी दावा किया कि कुछ लोग उनके शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं.
पिछड़े समुदायों की स्थिति पर उठाया सवाल
नटेशन ने मलप्पुरम जिले में पिछड़े समुदायों की स्थिति पर सवाल उठाया है. उन्होंने आरोप लगाया कि IUML जैसे राजनीतिक दल केवल एक समुदाय के पक्षधर हैं और उन्होंने कभी भी मलप्पुरम में गैर-मुस्लिम उम्मीदवार को चुनाव में नहीं उतारा. इस बयान से धार्मिक और राजनीतिक बंटवारे की आशंका जताई जा रही है.
वहीं, मलप्पुरम के मुस्लिम समुदाय के नेता और स्थानीय लोग नटेशन के बयान को साम्प्रदायिक समझते हैं और इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि मलप्पुरम एक शांतिपूर्ण और विविधतापूर्ण जिला है, जहां सभी समुदायों को बराबरी के अधिकार मिलते हैं.