कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा की पत्नी और जानी-मानी लेखिका कोटा नीलिमा ने सोशल मीडिया पर लगाए जा रहे विदेशी फंडिंग और मीडिया प्रभाव नेटवर्क से जुड़े आरोपों पर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी है. कोटा नीलिमा ने इन सभी दावों को सिरे से खारिज करते हुए इन्हें मानहानिकारक, झूठा और दुर्भावनापूर्ण प्रचार बताया है. उन्होंने कहा है कि आरोप लगाने वालों, इन्हें प्रकाशित करने वालों और जानबूझकर फैलाने वालों के खिलाफ सिविल और क्रिमिनल कार्रवाई की जाएगी.
सोशल मीडिया पर लगाए गए आरोपों से बढ़ा राजनीतिक विवाद
दरअसल, सोशल मीडिया पर कांग्रेस पार्टी, विदेशी फंडिंग और मीडिया नेटवर्क के कथित गठजोड़ को लेकर कई दावे किए जा रहे हैं. इन दावों ने राजनीतिक हलकों में विवाद खड़ा कर दिया है. वायरल हो रहे एक थ्रेड में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा की पत्नी कोटा नीलिमा को कथित तौर पर इस पूरे इकोसिस्टम का सेंट्रल फेस बताया गया है.
PROTO संगठन से जुड़ाव का दावा
सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया है कि कोटा नीलिमा, दिल्ली स्थित एक संगठन PROTO से जुड़ी हुई हैं. पोस्ट के मुताबिक, यह संगठन अमेरिकी लिंक वाले जर्नलिज्म प्रोग्राम्स के जरिए यह तय करने में भूमिका निभाता है कि किन भारतीय पत्रकारों को विदेशी फंडिंग दी जाए. इसी पोस्ट में कोटा नीलिमा को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सदस्य और तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी की पूर्व उपाध्यक्ष भी बताया गया है.
ICFJ और विदेशी फंडिंग को लेकर लगाए गए आरोप
थ्रेड में यह भी आरोप लगाया गया है कि PROTO की स्थापना वर्ष 2018 में अमेरिका स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट्स (ICFJ) से जुड़े फेलोज द्वारा की गई थी. दावा किया गया है कि बाद में PROTO दक्षिण एशिया में ICFJ के कार्यक्रमों का प्रमुख साझेदार बन गया.पोस्ट के अनुसार, ICFJ को पश्चिमी सरकारों, फाउंडेशनों और मीडिया संस्थानों से विदेशी फंडिंग मिलती है, जिसे भारत में पत्रकारिता परियोजनाओं के जरिए चैनल किया जाता है. आरोप लगाया गया कि इन पहलों के माध्यम से केंद्र की BJP सरकार के खिलाफ कथित तौर पर नैरेटिव गढ़े जाते हैं.
कई मीडिया और सिविल सोसाइटी प्लेटफॉर्म से जुड़ाव का दावा
सोशल मीडिया थ्रेड में आगे दावा किया गया कि कोटा नीलिमा वर्ष 2017 के बाद कई मीडिया और सिविल सोसाइटी प्लेटफॉर्म्स से जुड़ी रहीं या उन्होंने उन्हें शुरू किया. इनमें इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज, रेट द डिबेट, हक्कू इनिशिएटिव और स्टूडियोअड्डा जैसे नाम शामिल हैं.
पोस्ट में आरोप लगाया गया कि इन मंचों पर BJP सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को प्रमुखता से जगह दी गई और संभवतः विदेशी फंडिंग वाले जर्नलिज्म प्रोजेक्ट्स के लिए चयन को प्रभावित किया गया. हालांकि, इन दावों के समर्थन में कोई दस्तावेजी सबूत सार्वजनिक रूप से पेश नहीं किए गए हैं.
वैचारिक संगठनों और मुद्दों को लेकर भी आरोप
थ्रेड में PROTO के संस्थापकों और जमात-ए-इस्लामी से जुड़े कथित संगठनों के बीच वैचारिक और संगठनात्मक संबंधों का भी दावा किया गया है. पोस्ट में आरोप लगाया गया कि विदेशी फंडिंग, राजनीतिक विपक्ष के नैरेटिव और इस्लामी संगठनों की गतिविधियों के बीच भूमिकाओं को बांटा गया है. यह भी कहा गया कि वर्ष 2020 से 2024 के बीच ICFJ से जुड़े कार्यक्रमों के तहत भारत में जिन स्टोरीज़ को कमीशन किया गया, उनका फोकस अल्पसंख्यक अधिकार, हेट स्पीच, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और बुलडोजर कार्रवाई जैसे मुद्दों पर रहा, जबकि अन्य साम्प्रदायिक हिंसा के मामलों को नजरअंदाज किया गया.
FCRA और राहुल गांधी को भी जोड़ने की कोशिश
सोशल मीडिया पोस्ट में यह दावा भी किया गया कि कांग्रेस पार्टी का विदेशी फंडिंग से जुड़े कानूनों, विशेषकर FCRA के कुछ प्रावधानों का विरोध, इसी कथित इकोसिस्टम की रक्षा से जुड़ा हुआ है. साथ ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों को भी इसी नेटवर्क से जोड़ने की कोशिश की गई है. हालांकि, ये सभी दावे फिलहाल अपुष्ट और अप्रमाणित हैं.
कोटा नीलिमा का किया खंडन
इन सभी आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कोटा नीलिमा ने बयान जारी कर कहा, 'मैं इस थ्रेड में तथाकथित जांच के नाम पर की गई इस मानहानिकारक बकवास से हैरान हूं. यह मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से गढ़ा गया एक सुनियोजित झूठ है. इसमें किया गया हर दावा झूठा और दुर्भावनापूर्ण है.'
कोटा नीलिमा ने साफ किया कि आरोप लगाने वाले, इसे प्रकाशित करने वाले और जानबूझकर इसे फैलाने व बढ़ावा देने वाले सभी लोगों के खिलाफ बिना किसी देरी के सिविल और क्रिमिनल कार्रवाई शुरू की जा रही है. उन्होंने कहा कि कानून के तहत पूरी सख्ती से परिणाम सुनिश्चित किए जाएंगे.