नई दिल्ली: 47 साल के राहुल गांधी ने अपने जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे हैं. दिल्ली से देहरादून और देहरादून से कैंब्रिज, फिर कैंब्रिज के मुंबई तक राहुल गांधी अपनी पहचान बदल कर पढ़ाई करते रहे. आज से ठीक 13 साल पहले राष्ट्रीय राजनीति में राहुल गांधी का पदार्पण हुआ था और वक्त के साथ राहुल की जिम्मेदारियां भी बढ़ती गईं.


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19 जून साल 1970 को हुआ था राहुल का जन्म

19 जून साल 1970 को राहुल गांधी का जन्म हुआ था. राहुल गांधी खानदान के बड़े बेटे तो थे ही साथ ही सबके चहेते भी थे. पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी के वो बेहद लाडले थे.

कई उतार चढ़ावों से भरा रहा राहुल का जीवन

राहुल गांधी का जन्म देश के सबसे ताकतवर परिवार में हुआ, वो परिवार जिसकी रगों में देश की राजनीति बहती थी. और जिस परिवार के साथ सुनहरी विरासत जुड़ी थी. लिहाजा राहुल गांधी भी राजनीति से अछूते नहीं रहे, लेकिन राजनीति में कदम रखने से पहले राहुल का जीवन कई उतार चढ़ावों से भरा रहा.

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कॉलेज में थे राहुल जब राजीव गांधी की हत्या कर दी गई

दादी के लाडले राहुल की उम्र अभी 14 साल की ही थी जब इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई. उस वक्त राहुल गांधी अपने स्कूल की पढ़ाई कर रहे थे. दादी को गुजरे सिर्फ सात साल ही हुए थे कि साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई. ये वो दौर था जब राहुल कॉलेज में थे.

सात साल के भीतर हुई देश की दो बड़ी हत्याओं ने पूरे गांधी परिवार को झकझोर कर रख दिया. लिहाजा सुरक्षा कारणों से देश के बाहर भेज दिया गया.

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सैंट कोलंबस स्कूल से हुई थी राहुल की शुरुआती शिक्षा

राहुल गांधी की शुरुआती शिक्षा दिल्ली के सैंट कोलंबस स्कूल से हुई थी. जिसके बाद साल 1981 में राहुल को देहरादून के प्रसिद्ध दून पब्लिक स्कूल में पढ़ाई के लिए भेजा गया. साल 1989 में दिल्ली के सैंट स्टीफंस कॉलेज में राहुल गांधी ने अंडर ग्रेजुएज कोर्स के लिए दाखिला लिया, -लेकिन पहला साल पूरा करने के साथ ही उन्हें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी जाना पड़ा.

साल 1991 में पिता राजीव गांधी की हत्या के बाद राहुल गांधी को फ्लोरिडा के रॉलिंग कॉलेज शिफ्ट किया गया जहां से साल 1994 में उन्होनें बी.ए की डिग्री ली. पढ़ाई पूरी करने के बाद राहुल गांधी की वतन वापसी हुई. तब तक देश की राजनीति और हालात बहुत हद तक बदल चुके थे.

साल 2004 में राहुल ने पहली बार रखा देश की संसद में कदम

साल 2004 में राहुल गांधी ने अमेठी सीट से चुनाव लड़ा और जीत के साथ देश की संसद में पहली बार कदम रखा. मां सोनिया गांधी की देख रेख में राहुल ने इस दौरान पार्टी में कई अहम पदों पर काम किया और पार्टी के भीतर खुद के लिए जगह बनाने में कामयाब रहे. जिसका नतीजा ये हुआ कि राहुल गांधी को साल 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया.

पिछले 13 सालों में भारतीय राजनीति में खुद को मथने के बाद आज राहुल गांधी बड़ी पारी के लिए तैयार हो चुके हैं. कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालते ही राहुल का नाम उस फेहरिस्त में जुड़ जाएगा, जिसमें पंडित नेहरु, दादी इंदिरा गांधी, पिता राजीव और मां सोनिया गांधी का नाम जुड़ा है.