Congress On One Nation, One Election: वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर शुक्रवार (19 जनवरी, 2024) को कांग्रेस ने रुख साफ कर दिया. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर कहा कि हम इसके खिलाफ हैं. इसकी भारत जैसे देश में कोई जगह नहीं है.


एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी को लिखे लेटर में खरगे ने कहा, ''संसदीय शासन व्यवस्था को अपनाने वाले देश में एक साथ चुनाव की अवधारणा के लिए कोई स्थान नहीं है. उनकी पार्टी एक राष्ट्र, एक चुनाव के विचार का पुरजोर विरोध करती है.''


समिति के सचिव नीतेन चंद्र को भेजे सुझाव में खरगे ने आगे कहा, ''एक साथ चुनाव कराने का विचार संविधान की मूल संरचना के विरुद्ध है. एक साथ चुनाव की व्यवस्था लागू करनी है तो संविधान की मूल संरचना में पर्याप्त बदलाव की आवश्यकता होगी. 


मल्लिकार्जुन खरगे ने क्या कहा?
खरगे ने 17 बिंदुओं में अपने सुझाव समिति के पास भेजे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस और देश के लोगों की ओर से मैं उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष (कोविदं) से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि वे संविधान और संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उनके व्यक्तित्व और भारत के पूर्व राष्ट्रपति के पद का दुरुपयोग न करने दें.’’


उन्होंने आगे कहा, ''कांग्रेस एक राष्ट्र, एक चुनाव के विचार का कड़ा विरोध करती है. एक संपन्न और मजबूत लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि इस पूरे विचार को त्याग दिया जाए.’’


ममता बनर्जी ने क्या राय दी है?
कमेटी ने हाल में राजनीतिक दलों को लेटर लिखकर एक साथ चुनाव कराने के विचार पर राय मांगी थी. राय मांगने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की चीफ ममता बनर्जी ने समिति को पत्र लिखते हुए कहा था, ''एक राष्ट्र, एक चुनाव के खिलाफ हूं. साल 1952 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए. ये कई सालों तक आगे जारी रहे, लेकिन ये बाद में कायम नहीं रह सका.''


बता दें कि कमेटी का काम लोकसभा, विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की संभावना पर विचार करना है. 


इनपुट भाषा से भी. 


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