नई दिल्लीः कांग्रेस ने बुधवार को सरकार पर आरोप लगाया कि वह नियमों का हवाला देकर संसदीय निगरानी से बचने की कोशिश कर रही है. पार्टी ने विपक्षी पार्टियों के महत्वपूर्ण सवालों के जवाब के लिये जल्द ही संसद का डिजिटल सत्र बुलाने की भी मांग की. कांग्रेस ने कहा कि दुनिया के दूसरे देशों में ऐसा हो सकता है तो भारत में क्यों नहीं.


'संसद को कमजोर करने का प्रयास'


कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, “इस सरकार ने नियमों की आड़ में छिपने और संसद के सवालों से बचने के लिए अतिरिक्त प्रयास किये हैं. यह कुछ और नहीं, बल्कि संसद को कमजोर करने का प्रयास है.’’


पार्टी प्रवक्ता गौरव गोगोई ने कहा कि नेपाल जैसे देश पूरे संसाधन और ताकत से विधेयक पारित कर भारत के साथ अपनी सीमा को नये सिरे से निर्धारित कर रहे हैं.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के बीच द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन आयोजित करने के सरकार के अनुभव के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए और इस दौरान सामाजिक दूरी और राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व को ध्यान में रखना चाहिए.’’


गोगोई ने आरोप लगाया, ‘‘यह अधिनायकवाद का संकेत है और बीजेपी सरकार की कोशिश समय जाया करने की रही है, ताकि जनता द्वारा मुख्य विपक्षी पार्टियों के माध्यम से पूछे गए सवालों से बचा जा सके.’’


'ब्रिटेन में भी हुई डिजिटिल संसद'


वहीं तिवारी ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और अफसोसजनक है कि एक ओर जहां रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय सम्मेलन, जी-20 बैठक और सर्वदलीय बैठक डिजिटल हो सकती है, वहीं दूसरी ओर सरकार डिजिटल संसद सत्र नहीं बुला रही.’’ उन्होंने ब्रिटेन और पुर्तगाल का उदाहरण देते हुए कहा कि पूरी दुनिया में संसद की डिजिटल बैठकें हो रही हैं.


तिवारी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि क्यों नहीं रक्षा मामलों पर संसद की स्थायी समिति, परामर्शदाता समिति (एडवाइजरी कमेटी) और स्वास्थ्य मामलों पर संसदीय समिति की ऑनलाइन बैठक हो रही है? विपक्षी पार्टियों के सदस्य, खासतौर पर कांग्रेस, कोरोना वायरस महामारी और लद्दाख में चीनी घुसपैठ पर चर्चा के लिए संसद सत्र बुलाने की मांग कर रही है.


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