भारतीय जनता पार्टी ने बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर सबको चौंका दिया है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है, जब बीजेपी ने अपने फैसले से चौंकाया हो. इससे पहले भी कई बार बीजेपी ने कभी मुख्यमंत्री तो कभी प्रदेश अध्यक्ष के लिए ऐसे नामों को आगे किया, जिन्हें देख पार्टी के शीर्ष स्तर के नेता भी चौंक गए. 

Continues below advertisement

बिहार की नीतीश सरकार में PWD मंत्री नितिन नबीन कायस्थ समाज से आते हैं. बांकीपुर सीट से इस बार पांचवीं बार विधायक बने हैं. उन्होंने 2006 में उपचुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी. उन्होंने पिता के निधन के बाद सियासी सफर शुरू किया. इसके बाद 2010, 2015 और 2020 के बाद अब 2025 में भी जीत का परचमा लहराया है. पहली बार 9 फरवरी 2021 को नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें पथ निर्माण मंत्री बनने का मौका मिला था. इस समय उनकी उम्र करीब 45 साल है. इतनी कम उम्र में बीजेपी ने किसी नेता को पहली बार अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी है. 

हरियाणा में पहली बार के MLA खट्टर को बनाया CM

Continues below advertisement

2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 90 में 47 सीट जीतकर बहुमत हासिल किया था. यहां तत्कालीन केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुज्जर, राम बिलास शर्मा और कैप्टन अभिमन्यू जैसे नेताओं का नाम मुख्यमंत्री पद की रेस में था, लेकिन बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया. सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात थी कि खट्टर पहली बार विधानसभा चुनाव लड़कर विधायक बने थे. बीजेपी ने राज्य की कमान गैर जाट नेता के हाथ में सौंप दी थी. 

2017 में योगी आदित्यनाथ को बना दिया सीएम

उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने 2017 के चुनावों में 325 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था. यहां मुख्यमंत्री की रेस में कई बड़े दावेदार थे, जिनमें मनोज सिन्हा और तत्कालनी यूपी बीजेपी अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन काफी विचार-मंथन के बाद भाजपा ने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया. आदित्यनाथ गोरखपुर से पांच बार लोकसभा के सांसद चुने गए थे और हिंदू युवा वाहिनी के नाम से अपना हिंदूवादी संगठन चलाते थे.  जब अपने नाम के ऐलान से चौंक गए स्वतंत्र देव सिंह 

उत्तर प्रदेश में साल 2019 नया बीजेपी अध्यक्ष बनाया जाना था. इसके लिए कई बड़े नाम चल रहे थे, लेकिन बीजेपी ने स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. जब उन्हें इसकी जानकारी मिली तो वो चौंक गए. उस समय स्वतंत्र देव योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और उनके पास सड़क एवं परिवहन विभाग था.  चौंकाने वाला था पुष्कर सिंह धामी का ऐलान

उत्तराखंड में 2017 में हुए चुनावों में बीजेपी को बहुमत मिला था और उसने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन चार साल बाद ही पार्टी ने उनकी जगह तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया. वह विधायक भी नहीं थे, वो लोकसभा सांसद थे, लेकिन उन्होंने कुछ ही दिनों बाद इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद जुलाई, 2021 में पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना दिया गया था. मार्च 2022 में, विधानसभा चुनाव के बाद धामी दूसरी बार राज्य के सीएम बने, जबकि वो अपनी सीट हार गए थे. 

राजस्थान में वसुंधरा को हटाया, भजनलाल बने सीएम

भाजपा ने 2023 का राजस्थान विधानसभा चुनाव वसुंधरा राजे के नेतृत्व में लड़ा. लोग मानकर चल रहे थे कि सीएम वसुंधरा ही बनेंगी, लेकिन जीत के बाद भाजपा ने पहली बार के विधायक भजनलाल शर्मा को राज्य की कमान सौंप दी. और तो और उनके नाम का ऐलान भी वसुंधरा राजे से ही कराया गया था. भजनलाल विधायक दल की बैठक में पीछे की ओर बैठे हुए थे. 

एमपी में शिवराज को हटाया गया

साल 2023 में ही मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में लड़ा गया था. लोगों को लगा कि सीएम शिवराज सिंह चौहान बनेंगे, लेकिन जीत के बाद उज्जैन से आने वाले मोहन यादव को राज्य की कमान सौंप दी. शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली लाकर केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया. 

छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय के नाम से सब हैरान 

छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत होने के बाद किसी को अंदाजा नहीं था कि बीजेपी किस चेहरे पर भरोसा करेगी, लेकिन तमाम माथापच्ची के बाद छत्तीसगढ़ में आदिवासी चेहरे विष्णु देव साय को राज्य की कमान सौंपी गई. दरअसल राज्य में रमन सिंह जैसे बड़े नाम रेस में थे, लेकिन बीजेपी ने अपने फैसले से चौंकाया.

दिल्ली में रेखा गुप्ता के नाम से सब चौंके 

इसी साल दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को ऐतिहासिक जीत मिली थी. करीब 26 साल बाद दिल्ली में भगवा फहरा था. जीत के बाद बड़े नेताओं बिजेंदर गुप्ता, परवेश साहिब सिंह वर्मा और सतीश उपाध्याय का नाम सीएम की रेस में था, लेकिन पहली बार विधायक बनीं रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा दिया गया.

(इनपुट- शंकरेश कुमार)