क्या खत्म होंगी सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच की दूरियां? 23 जुलाई को तस्वीर होगी साफ
कांग्रेस आलाकमान के जरिए पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष की कुर्सी दिए जाने के बाद सिद्धू ने अमृतसर में बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया. पंजाब कांग्रेस के 62 विधायकों के साथ सिद्धू स्वर्ण मंदिर पहुंचे.
नई दिल्ली: पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नए प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच की दूरियां खत्म होंगी या और बढ़ेगी यह 23 जुलाई को साफ हो जाएगा, जब सिद्धू चंडीगढ़ में पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष का प्रभार ग्रहण करेंगे. उच्च सूत्रों के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष पद के शपथ ग्रहण कार्यक्रम के लिए सिद्धू की तरफ से सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह को आमंत्रित किया गया है. दिलचस्प बात यह है कि इस न्योते पर 60 से ज्यादा विधायकों के हस्ताक्षर भी हैं.
कांग्रेस आलाकमान के जरिए पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष की कुर्सी दिए जाने के बाद सिद्धू ने बुधवार को अमृतसर में बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया. पंजाब कांग्रेस के 80 में से करीब 62 विधायकों के साथ सिद्धू स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने पहुंचे. इससे पहले शनिवार से सिद्धू 50 से ज्यादा विधायकों के घर जाकर उनसे मिल चुके हैं. अमृतसर में विधायकों के जमावड़े से साफ हो गया कि कैप्टन खेमा सिकुड़ गया है और उसे छोड़कर पंजाब कांग्रेस के ज्यादातर नेता, विधायक और खुद कैप्टन सरकार के मंत्री सिद्धू के नेतृत्व में अपना भविष्य देख रहे हैं.
सार्वजनिक रूप से माफी
दूसरी तरफ सिद्धू की नियुक्ति से नाराज मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने औपचारिक बधाई तो नहीं ही दी है. उनके दफ्तर ने एक दिन पहले यह ऐलान तक कर दिया कि कैप्टन सिद्धू से तब तक नहीं मिलेंगे जब तक सिद्धू उन पर की गई व्यक्तिगत टिप्पणियों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते. कैप्टन के दफ्तर ने यह भी साफ किया था कि सिद्धू की तरफ से मिलने का कोई समय भी नहीं मांगा गया है. अब प्रदेश अध्यक्ष पद के शपथ ग्रहण कार्यक्रम के लिए भेजे गए न्योते को लेकर कैप्टन के दफ्तर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
दूसरी तरफ सिद्धू कैंप के कई विधायक कैप्टन की 'माफी वाली शर्त' को गैरजरूरी जिद्द बता रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक इस शर्त से प्रभारी हरीश रावत खुद असहज हैं. उन्होंने बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए. सिद्धू ने उन्हें भी 23 जुलाई का न्योता भेजा है. हालांकि अभी तक साफ नहीं है कि रावत चंडीगढ़ जाएंगे या नहीं.
कुल मिलाकर सिद्धू के ऐलान से कांग्रेस खेमे में जोश और फूट दोनों एक साथ नजर आ रही है. कैप्टन खेमा अगली चाल के लिए धैर्यपूर्वक इंतजार कर रहा है. इस मायने में 23 जुलाई को इस सस्पेंस से पर्दा उठ सकता है कि कैप्टन और सिद्धू एक साथ आ पाएंगे या दूरियां बनी रहेंगी. सवाल ये भी है कि झगड़ा शांत नहीं हुआ तो कांग्रेस आलाकमान क्या करेगा?
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