Arvind Kejriwal Maharashtra Visit: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार (25 मई) को मुंबई में एनसीपी चीफ शरद पवार (Sharad Pawar) से मुलाकात की. अरविंद केजरीवाल के स्वागत के लिए एनसीपी (NCP) के बड़े नेता वाईबी चव्हाण के बाहर खड़े थे. अजित पवार (Ajit Pawar), छगन भुजबल, सुनील तटकरें स्वागत के लिए मौजूद रहे.
इस मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 8 साल तक दिल्ली के अधिकारों की लड़ाई लड़ी है. हमसे लगातार शक्तियां छीनने की कोशिश की गई. संसद में बिल पास होने नहीं देना है, गैर बीजेपी दल साथ आएं तो अध्यादेश गिर जाएगा. ये अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ लाया गया है. राज्यसभा में अगर बिल गिर जाता है, तो इसे 2024 का सेमीफाइनल मानिए, बीजेपी सरकार नहीं आने वाली है.
एनसीपी ने दिया समर्थन
केजरीवाल ने कहा कि एनसीपी ने हमें समर्थन दिया है कि राज्यसभा में इसे पास न होने देने के लिए हमारा सहयोग करेंगे. शरद पवार साहब आज के दिन देश के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं. मेरी पवार साहब से विनती है कि खुद तो समर्थन कर रहे हैं देश की दूसरी पार्टियों से भी समर्थन जुटाने में हमारा सहयोग करें.
केजरीवाल को मिला ठाकरे का साथ
इससे पहले केजरीवाल ने बुधवार को मुंबई में शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से उनके आवास पर मुलाकात की थी. सीएम केजरीवाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सेवाओं के नियंत्रण से जुड़े केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी की लड़ाई में शिवसेना (यूबीटी) का समर्थन मांगने के लिए उद्धव ठाकरे से मिले थे. इस बैठक के बाद केजरीवाल ने कहा कि उद्धव ने राज्यसभा में (सेवा पर नियंत्रण संबंधी केंद्र के अध्यादेश से जुड़े) विधेयक के खिलाफ मतदान करने का भरोसा दिलाया है.
"बीजेपी लोकतंत्र और सुप्रीम कोर्ट में विश्वास नहीं करती"
अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण से जुड़ा केंद्र का अध्यादेश इस बात का परिचायक है कि मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास नहीं करती है. एक लोकतंत्र में सत्ता चुनी हुई सरकार के हाथों में होनी चाहिए, क्योंकि वह लोगों के प्रति जवाबदेह होती है. बीजेपी न तो लोकतंत्र और न ही सुप्रीम कोर्ट में विश्वास करती है.
केंद्र के अध्यादेश का कर रहे विरोध
गौरतलब है कि केंद्र सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित करने के वास्ते 19 मई को एक अध्यादेश लेकर आई थी. इससे एक हफ्ते पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस, लोक सेवा और भूमि से संबंधित विषयों को छोड़कर बाकी सभी मामलों में सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली की चुनी हुई सरकार को सौंप दिया था.
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