अपने कार्यकाल के आखिरी दिन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने सबसे चर्चित कदम पर बात की. जस्टिस वर्मा कैशकांड पर एबीपी न्यूज के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सभी तथ्यों को परखने के बाद उन्होंने न्याय के हित में फैसला लेने की कोशिश की. वह सही थे या गलत, इसका जवाब भविष्य देगा.
 
अपने सम्मान में आयोजित सेरेमोनियल बेंच से उठने के बाद चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट कवर करने वाले पत्रकारों से मिलने आए. उन्होंने अपने कार्यकाल को अच्छा बताया और कहा कि वह रिटायर होने के बाद कोई सरकारी पद नहीं लेंगे. कानून के क्षेत्र से जुड़े रह कर कुछ काम करेंगे.
 
इस दौरान एबीपी न्यूज संवाददाता निपुण सहगल ने उनसे जस्टिस यशवंत वर्मा कैशकांड पर सवाल पूछ लिया. संवाददाता ने पूछा कि न्यायपालिका का प्रमुख होने के नाते इस दौरान उनके मन में क्या चल रहा था? कैशकांड के वीडियो और बाकी तथ्यों को सार्वजनिक करने और जांच कमेटी की रिपोर्ट सरकार को भेजने का निर्णय उन्होंने कैसे लिया.
 
चीफ जस्टिस ने सवाल को टालने की कोशिश की, लेकिन दोबारा अनुरोध करने पर बेहद संतुलित जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जजों का काम फैसला लेने का ही होता है. वह तथ्यों को न्याय के तराजू पर कह कर देखते हैं. इस बात का भी आकलन करते हैं कि उनके संभावित निर्णय का क्या परिणाम होगा. फैसला लेने वाला फैसला सही था या गलत, इसका पता भविष्य में ही चलता है.
 
चीफ जस्टिस ने कहा कि जांच कमेटी बनाने और रिपोर्ट सरकार को भेजने जैसा कदम उठाते समय वह सिर्फ अपनी भूमिका का सर्वोच्च निर्वाह करने की कोशिश कर रहे थे. साफ तौर पर उनका इशारा इस ओर था कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ गंभीर तथ्य सामने आए थे. ऐसे में बतौर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया उन्होंने न्यायपालिका में लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया.