मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने सोमवार (26 जनवरी, 2025) को भारतीय ओलंपिक संघ और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के संविधानों को अंतिम रूप देने से संबंधित दो अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. दोनों संविधानों को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एल नागेश्वर राव ने तैयार किया था.
कार्यवाही की शुरुआत में सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि वह इन मामलों की सुनवाई करने वाली पीठ का हिस्सा नहीं होंगे क्योंकि उन्होंने इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में इनमें से एक याचिका की सुनवाई की थी. पीठ में न्यायमूर्ति संजय कुमार भी शामिल थे. जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, 'याचिकाओं को 10 फरवरी को जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली दूसरी पीठ के समक्ष आने दें. मुझे स्मरण है कि मैंने दिल्ली हाईकोर्ट में इस पर सुनवाई की थी.'
इन याचिकाओं पर आखिरी बार 19 मार्च, 2024 को तत्कालीन सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की थी. उसके बाद पीठ ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) को जस्टिस नागेश्वर राव की ओर से प्रस्तावित संविधान मसौदे पर अपनी आपत्तियां दर्ज कराने की अनुमति दी थी. पीठ ने यह भी कहा था कि वह अगली सुनवाई की तारीख पर भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) और एआईएफएफ के संविधानों के बारे में उठाए गए मुद्दों पर फैसला करेगी.
एआईएफएफ संबंधी याचिका पर विचार करते हुए पीठ ने कहा था कि जस्टिस राव की ओर से पेश रिपोर्ट को न्यायमित्र (एमिकस क्यूरी) गोपाल शंकरनारायणन द्वारा सभी पक्षों के बीच वितरित किया जाएगा जो इसकी सॉफ्ट कॉपी चाहते हैं. पीठ ने निर्देश दिया था कि मसौदा संविधान पर एआईएफएफ की आपत्तियां भी दर्ज की जाएं.
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने आईओए के मसौदा संविधान पर आपत्तियां दर्ज कराने के लिए समय बढ़ा दिया था. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि आईओए से संबंधित याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान हाईकोर्ट को अन्य खेल निकायों से जुड़ी लंबित याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखने से नहीं रोका जाएगा. आईओए के मसौदा संविधान को दिल्ली में विशेष आम सभा में अपनाया गया था.
आईओए ने सर्वोच्च अदालत और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) की निगरानी में तैयार किए गए मसौदा संविधान को स्वीकार कर लिया लेकिन कई सदस्यों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से इसे अनिवार्य बनाए जाने के बाद उन्हें इसे अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस नागेश्वर राव से यह भी आग्रह किया था कि वह फुटबॉल को नियंत्रित करने वाली शीर्ष वैश्विक संस्था फीफा सहित विभिन्न हितधारकों द्वारा मसौदा दस्तावेज पर आपत्तियों पर ध्यान देने के बाद एआईएफएफ संविधान को अंतिम रूप देने पर व्यापक रिपोर्ट तैयार करें.
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