CJI DY Chandrachud Recall his School Time: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार (5 मई 2024) को अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए कई अहम खुलासे किए. उन्होंने बताया कि स्कूल में उन्हें शारीरिक दंड का सामना करना पड़ा था और जिस तरह की सजा मिली थी वह आज भी उनके जहन में जिंदा है. वह सजा उनके दिल और आत्मा पर अंकित है.


नेपाल में वहां के सुप्रीम कोर्ट की ओर से किशोर न्याय पर आयोजित नेशनल सेमिनार में बोलते हुए सीजेआई ने कहा कि जिस तरह से लोग बच्चों के साथ व्यवहार करते हैं, वह उनके दिमाग पर स्थायी प्रभाव डालता है. डी.वाई. चंद्रचूड़ ने बताया कि कैसे उनके हाथों पर बेंतें मारी गई थीं, जबकि उन्होंने टीचर से उनके बम यानी पीछे के हिस्से पर बेंतें मारने का अनुरोध किया था.


'सही साइज की सुइयां न लाने पर हुई थी पिटाई'


सीजेआई ने आगे कहा, "आप बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, इसका उनके मन पर जीवन भर गहरा प्रभाव रहता है. मैं स्कूल का वह दिन कभी नहीं भूलूंगा. मैं कोई किशोर अपराधी नहीं था, जब मेरे हाथों पर बेंतें मारी गई थीं तब मेरा अपराध क्लास में सही साइज की सुइयां नहीं लाना था." सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "मुझे अब भी याद है कि मैंने अपने टीचर से कई बार अनुरोध किया था कि छड़ी मेरे हाथ पर नहीं बल्कि मेरे बम यानी पीछे के हिस्से पर मारें."


'शर्म की वजह से घर में नहीं दी किसी को जानकारी'


सीजेआई ने कहा कि मुझे अपने माता-पिता को इसके बारे में बताने में बहुत शर्म आ रही थी, यहां तक कि अगले कुछ दिनों तक मैं चुपचाप दर्द सहता रहा और अपने शरीर पर पड़े निशान छिपाता रहा. डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, "उस घटना ने मेरे दिल और आत्मा पर एक छाप छोड़ी और वह अब भी मेरे साथ है जब मैं अपना काम करता हूं. बच्चों पर उपहास की छाप बहुत गहरी होती है."


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