कैथोलिक बिशप (पादरियों) के एक संगठन ने केंद्रीय वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन का समर्थन करते हुए सोमवार (31 मार्च, 2025) को कहा कि पुराने कानून के कुछ प्रावधान संविधान और देश के धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप नहीं हैं. ‘कैथोलिक बिशप कांफ्रेस ऑफ इंडिया (CBCI)’ ने भी राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर निष्पक्ष और रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की अपील की.

ईसाई पादरियों के इस प्रमुख निकाय की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब सरकार मौजूदा बजट सत्र में संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक लाने पर जोर दे रही है. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि सरकार वक्फ (संशोधन) विधेयक संसद में लाने के लिए तैयार है. उन्होंने कुछ संगठनों पर ‘मुसलमानों को गुमराह करने’ का आरोप लगाया.

सीबीसीआई ने कहा कि केरल में वक्फ बोर्ड ने मुनम्बम क्षेत्र में 600 से अधिक परिवारों की पैतृक आवासीय संपत्तियों को वक्फ भूमि घोषित करने के लिए मौजूदा वक्फ कानून के प्रावधानों को लागू किया है. सीबीसीआई ने कहा, 'पिछले तीन वर्षों में यह मुद्दा एक जटिल कानूनी विवाद में बदल गया है. तथ्य यह है कि केवल कानूनी संशोधन ही स्थायी समाधान प्रदान कर सकता है. इसे जन प्रतिनिधियों द्वारा मान्यता दी जानी चाहिए.'

उसने कहा है, 'चूंकि वक्फ संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जाना है, इसलिए सीबीसीआई राजनीतिक दलों और सांसदों से इस मुद्दे पर निष्पक्ष एवं रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने का अपील करता है.' सीबीसीआई ने कहा कि मुनम्बम के लोगों को भूमि का सही स्वामित्व पूरी तरह से बहाल किया जाना चाहिए.

सीबीसीआई ने कहा, 'भारतीय संविधान के सिद्धांतों का खंडन करने वाले किसी भी प्रावधान या कानून में संशोधन किया जाना चाहिए. साथ ही, संविधान ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को जो गारंटी दी है उसकी रक्षा की जानी चाहिए.' ‘केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल’ ने राज्य के सांसदों से वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करने और मौजूदा वक्फ अधिनियम में ‘असंवैधानिक और अन्यायपूर्ण प्रावधानों’ में संशोधन के पक्ष में मतदान करने का आह्वान किया है. केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और किरेन रीजीजू ने केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल के बयान का स्वागत किया.

 

यह भी पढ़ें:-2025 से पहले की प्रॉपर्टी वक्फ की ही रहेंगी... जानें केंद्र की ओर से लाए जा रहे वक्फ बिल में और क्या-क्या?