डोकलाम जैसी स्थिति फिर से पैदा ना हो, इसके लिए रक्षा मंत्री सीतारमण से मिलेंगी चीन के रक्षा मंत्री
चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगे भारत दौरे पर हैं. इस दौरान वो बृहस्पतिवार को विदेश मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलेंगे. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी कि मुलाकात का मुख्य जोर डोकलाम जैसी स्थिति फिर से पैदा नहीं होने देने पर होगा.

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और उनके चीनी समकक्ष वेई फेंगे बृहस्पतिवार को व्यापक वार्ता करेंगे. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी कि मुलाकात का मुख्य जोर डोकलाम जैसी स्थिति फिर से पैदा नहीं होने देने पर होगा. वहीं दोनों देशों के बीच अविश्वास दूर करने और विवादित सीमा की गश्ती करने वाले दोनों देशों की सेनाओं के बीच तालमेल को बढ़ाना भी इसका अहम पहलू होगा. वेई चार दिनों की यात्रा पर आज भारत पहुंचे हैं.
चीनी रक्षा मंत्री ने मोदी से मुलाकात की करीब साढ़े तीन महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग इस बात पर सहमत हुए थे कि डोकलाम जैसे गतिरोधों को टालने के लिए दोनों सेनाओं के बीच रणनीतिक संचार बढ़नी चाहिए. चीनी रक्षा मंत्री ने मोदी से मुलाकात की, जिस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देश अपने मतभेदों को संवदेनशीलता और परिपक्वता से दूर कर रहे हैं और उन्हें विवाद में तब्दील नहीं होने दे रहे हैं.
डोकलाम में अच्छी संख्या में मौजूद हैं चीनी सैनिक सूत्रों ने बताया कि वेई की यात्रा का प्राथमिक उद्देश्य अप्रैल में वुहान में अनौपचारिक सम्मेलन के दौरान मोदी और शी द्वारा लिए गए फैसलों को क्रियान्वित करने पर भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान के साथ चर्चा करना है. प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में उत्तर डोकलाम में अच्छी खासी संख्या में चीनी सैनिकों की मौजूदगी का मुद्दा भारत द्वारा उठाए जाने की उम्मीद है. सिक्किम सेक्टर में स्थित डोकलाम सामरिक रूप से एक अहम इलाका है जिस पर भूटान दावा करता है. भारत इस संवेदनशील क्षेत्र में स्थित इस छोटे से देश को सुरक्षा की गारंटी देने वाले की जिम्मेदारी निभाता है.
अटका पड़ा है दोनों देशों के बीच हाटलाइन का मुद्दा भारत और चीन के एक तंत्र पर चर्चा करने की संभावना है जिसके तहत दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे को करीब 4000 किमी लंबी सीमा पर विवादित क्षेत्र में किसी गश्त से पहले सूचित करेंगे. वुहान सम्मेलन के बाद दोनों देशों ने हॉटलाइन स्थापित करने के लंबे समय से लंबित प्रस्ताव की समीक्षा की, ताकि विवादित सीमा पर गतिरोध को टाला जा सके. लेकिन प्रोटोकॉल और हॉटलाइन के तकनीकी पहलुओं से जुड़े मुद्दों को लेकर इस कोशिश में अड़चन आई.
दरअसल, थलसेना का कहना है कि हॉटलाइन इसके डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) और उसके चीनी समकक्ष पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच होनी चाहिए. वहीं, बीजिंग का प्रस्ताव है कि उसके चेंगदु स्थित पश्चिमी थियेटर कमान के उप कमांडर भारतीय डीजीएमओ से बातचीत करेंगे.
इंडियन आर्मी चीन के इस प्रस्ताव के खिलाफ है और उसने इस बात पर जोर दिया है कि पीएलए मुख्यालय में भारतीय डीजीएमओ के समान स्तर के एक अधिकारी को हॉटलाइन के जरिए बातचीत करने के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए.
फिलहाल, भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच एक हॉटलाइन है. भारत और चीन के बीच हॉटलाइन का विचार दोनों देशों ने 2013 में पहली बार दिया था.
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Source: IOCL





















