चंडीगढ़: सीबीआई की अदालत की तरफ से डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को दोषी करार दिए जाने से सिरसा के दिवंगत पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के परिवार के लिए ‘उम्मीद की किरण’ जगी है. करीब 15 वर्ष पहले डेरा प्रमुख के खिलाफ बलात्कार के कथित मामलों को उजागर करने के लिए उनकी हत्या कर दी गई थी.


दिवंगत पत्रकार के बेटे अंशुल ने फैसले का स्वागत किया और कहा कि अब उन्हें भी न्याय मिलने की उम्मीद जगी है.

उन्होंने कहा, ‘‘सीबीआई न्यायाधीश ने दबाव में नहीं आते हुए फैसला देकर स्पष्ट संदेश दिया है कि फर्जी साधु नहीं बच सकता. आम आदमी का न्यायपालिका में विश्वास जगा है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता का मामला भी वही न्यायाधीश देख रहे हैं. सुनवाई 16 सितम्बर को होने वाली है.’’

छत्रपति ने सिरसा के डेरा मुख्यालय में ‘साध्वियों’ के यौन उत्पीड़न का भंडाफोड़ किया था और 24 अक्तूबर 2002 को नजदीक से उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

पत्रकार के 36 साल के बेटे ने उन दो शिष्याओं की प्रशंसा की जिन्होंने ‘काफी धमकियां’ मिलने के बावजूद डेरा प्रमुख के खिलाफ गवाही पर कायम रहीं.

छत्रपति स्थानीय सांध्य दैनिक ‘पूरा सच’ चलाते थे. सिरसा के डेरा मुख्यालय में राम रहीम की तरफ से महिलाओं के यौन उत्पीड़न को लेकर अज्ञात व्यक्ति का खत छापने के कुछ महीने बाद उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.