Chandrayaan-3 Maneuver: चंद्रयान-3 बुधवार (16 अगस्त) को एक बड़े ऑपरेशन से गुजरेगा. दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इसकी कक्षा को चंद्रमा की सतह से 100 किमी तक कम करने के लिए मन्यूवर (सावधानी से किसी चीज को मैनेज करने की प्रक्रिया) करेगा. यह मन्यूवर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
इस मन्यूवर को ऑर्बिट सर्कुलराइजेशन के नाम से जाना जाता है. इसमें अंतरिक्ष यान के इंजनों का इस्तेमाल करके इसे एक निश्चित तरीके से धकेला जाता है, जिससे इसका रास्ता ज्यादा सर्कूलर हो जाता है. इसके बाद स्पेसक्राफ्ट सॉफ्ट लैंडिंग के लिए तैयारी करेगा.
चांद के करीब पहुंच रहा है स्पेसक्राफ्टइस साल 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया चंद्रयान-3 लगातार अपने टारगेट की ओर आगे बढ़ रहा है. 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में प्रवेश करने के बाद स्पेसक्राफ्ट ऑर्बिट में घूम रहा है, जिससे धीरे-धीरे चंद्रमा से इसकी दूरी कम हो रही है.
चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग वाला चौथा देश बन जाएगा भारत23 अगस्त को निर्धारित सॉफ्ट लैंडिंग का मकसद लैंडर और रोवर को चंद्रमा के साउथ पोल पर स्थापित करना है. ऐसा माना जाता है कि इससे खोजें होंगी. रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा.
लैंडिग के लिए चाहिए कंट्रोलबता दें कि लैंडर के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने और स्पेसक्राफ्ट के ऑर्बिट में 100 किमी x 30 किमी पहुंचने के बाद सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होती है. लैंडर लगभग 30 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा की सतह तक जाने के लिए अपने थ्रस्टर्स का इस्तेमाल करता है. इसकी सुरक्षित लैंडिंग के लिए सटीक नियंत्रण और नेविगेशन की जरूरत होती है.
बढ़ती तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन चंद्रयान-3 का मिशन न केवल स्पेस में भारत की बढ़ती तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करना है, बल्कि इसका मकसद महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोजें करना भी है. इस मिशन की सफलता भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगी और चंद्र और और अन्य ग्रहों के लिए नए रास्ते खोलेगी.
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