मुंबई: मौजूदा समय में बगैर ज्यादा मैन पावर के बड़े क्षेत्र की सुरक्षा की निगरानी करने के लिए ड्रोन कैमरा सबसे उपयुक्त माना जाता है और इसी को देखते हुए अब मध्य रेलवे मुंबई मंडल ने अपने रेलवे क्षेत्र की निगरानी ड्रोन कैमरे से करने का फैसला लिया है.
मध्य रेल के मुंबई मंडल ने हाल ही में रेलवे क्षेत्रों जैसे स्टेशन परिसर, रेलवे ट्रैक सेक्शन, यार्ड, वर्कशॉप आदि में बेहतर सुरक्षा और निगरानी के लिए दो निजी यूएवी की खरीद की है. आरपीएफ आधुनिकीकरण सेल के चार सदस्यीय कर्मचारियों की एक टीम को प्रशिक्षित किया गया है और इन ड्रोनों को उड़ाने के लिए लाइसेंस प्राप्त किया है.
ड्रोन की परिचालन सीमा 2 किमी है और यह 25 मिनट तक उड़ान भरता है. इसका टेक ऑफ वेट 2 किलोग्राम तक है और दिन के समय 1280x720 पिक्सल एचडी इमेज कैप्चर कर सकता है. इसमें रियल टाइम ट्रैकिंग, वीडियो स्ट्रीमिंग और स्वचालित विफल मोड भी है.
मध्य रेलवे के ये ड्रोन निम्न प्रकार से सहायक होंगे:
- रेलवे की संपत्ति का निरीक्षण और यार्ड, कारखानों, कार शेड आदि की सुरक्षा सुनिश्चित करना.
- रेलवे परिसर में अपराधिक और असामाजिक गतिविधियों पर निगरानी. इसमें जुआ, कचरा फेंकना, फेरी लगाना आदि शामिल हो सकते हैं.
- ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए संवेदनशील स्थानों का विश्लेषण
- आपदा स्थल पर निगरानी और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय.
- रेलवे संपत्ति पर अतिक्रमण का आकलन करने के लिए रेलवे संपत्ति का मानचित्रण
- त्योहारों आदि के समय तथा गंभीर परिस्थितियों में भीड़ की निगरानी
ड्रोन बीट्स का डिज़ाइन मंडल के क्षेत्राधिकार में स्थित रेलवे संपत्ति, संवेदनशीलता, अपराधियों की गतिविधियों आदि के आधार पर तैयार किया गया है यह ड्रोन "आई इन द स्काई" के रूप में कार्य कर पूरे क्षेत्र की निगरानी करता है. यदि कोई भी संदिग्ध गतिविधि नोटिस की जाती है तो अपराधिक लाइव को प्राप्त कर निकटतम आरपीएफ पोस्ट को सूचित किया जाता है.
इस ड्रोन तकनीक ने अपना काम भी शुरू कर दिया है. इसकी मदद से दो ऐसे अपराधियों को वास्तविक समय के आधार पर वाडीबंदर यार्ड क्षेत्र में और एक को कलंबोली यार्ड में पकड़ा गया, जो यार्ड में तैनात रेलवे कोच / वैगन के अंदर चोरी की कोशिश कर रहे थे.
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