जयपुर के मानसरोवर स्थित नीरजा मोदी स्कूल में चौथी क्लास की बच्ची के सुसाइड मामले में अब सीबीएसई (CBSE) ने स्कूल प्रबंधन को शो कॉज यानी कारण बताओ नोटिस जारी किया है. घटना एक नवंबर 2025 की है, जब दोपहर के समय स्कूल की चौथी मंजिल से कूदकर एक 9 साल की छात्रा अमायरा ने जान दे दी थी. स्कूल पर बुलिंग, लापरवाही, सुरक्षा नियमों के उल्लंघन और सिस्टम फेलियर के गंभीर आरोप लगे हैं. 

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सीबीएसई की जांच में क्या मिला?

CBSE ने अपनी जांच में स्कूल पर बच्चों की सुरक्षा, बुलिंग रोकने में असफलता, सीसीटीवी मॉनिटरिंग में गंभीर चूक, अपर्याप्त सुरक्षा ढांचे और स्टाफ की लापरवाही को उजागर किया है. 

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क्या है पूरा घटनाक्रम?

बताया जाता है कि 12:28 बजे एक चौथी क्लास की छात्रा, जिनका नाम अमायरा है, चौथी मंजिल पर गई और वहां से कूद गई. छात्रा की क्लास ग्राउंड फ्लोर पर थी. इस मामले में गंभीर चूक भी सामने आई क्योंकि मौके पर कोई भी स्टाफ, गार्ड, टीचर या सीसीटीवी सिस्टम नहीं था, जिससे छात्रा की मूवमेंट को पकड़ा जा सके. मौके पर मौजूद स्टाफ छात्रा को पहचान नहीं सके, क्योंकि बच्चों ने आईडी कार्ड नहीं पहने थे. इससे उनकी पहचान करने में देरी भी लगी. 

जांच समिति ने क्या बताया?

CBSE द्वारा गठित जांच समिति ने प्रारंभिक जांच में कई तथ्य सामने रखे. घटना के दो दिन बाद जांच समिति ने इस हादसे की गंभीर बातों को नोट किया. इसमें स्कूल भवन में सुरक्षा जाल (सेफ्टी नेट्स) नहीं लगाए थे. स्टेयरकेस की रेलिंग आसान थी. बच्चे आसानी से चढ़ सकते थे. यह सभी कुछ सुरक्षा नियमों के खिलाफ पाया गया है. सीसीटीवी होने के बावजूद स्कूल ने 15 दिन के बैकअप नियम का पालन भी नहीं किया था. कई फ्लोर पर सुरक्षा गार्ड मौजूद नहीं थे. आईडी कार्ड, नाम टैग स्टाफ और छात्रों के लिए अनिवार्य होने के बावजूद पालन नहीं हुआ. काउंसलर को कभी बुलाया ही नहीं गया, जबकि बच्ची कई बार परेशान दिख रही थी. स्कूल में एंटी-बुलिंग कमेटी सक्रिय नहीं थी.

माता पिता ने क्या बताया?

बुलिंग पर माता पिता का बयान भी सामने आया है. इसमें साथी सहपाठियों को लेकर बड़े आरोप लगाए गए हैं. करीबन डेढ़ साल से बदसलूकी और बुलिंग चल रही थी. एक लड़के ने उसे कई बार चिढ़ाया था, कई बातें कही थी, साथ ही क्लास में उसे परेशान किया था. 

जब इस मामले में शिकायत की गई, तो टीचर का कहना था कि बच्ची को दूसरे बच्चों के साथ एडजस्ट करना पड़ेगा. इसके अलावा ये भी पता चला कि कई घटनाएं हुईं. छात्र ने उसे आई लव यू कहने का झूठा आरोप भी लगाया, इससे भी बच्ची परेशान हुई. एक बच्चे ने उसे अभद्रता भरा एक्शन भी किया था. माता पिता का कहना है कि बच्ची इन घटनाओं से परेशान होकर घर में कई बार रोती थी. इसके अलावा माता पिता के पास रिकॉर्डिंग और सबूत भी हैं, जो उन्होंने सीबीएसई को दिए हैं. 

घटना वाले दिन भी बच्चों ने किया परेशान

इसके अलावा घटना वाले दिन भी बच्चों ने लड़की को परेशान किया था. इसमें उसके बारे में खराब बातें लिखकर मिटाई थी. टीचर मौजूद थीं, लेकिन उन्होंने मजाक समझकर नजरअंदाज कर दिया. अमायरा ने 45 मिनट तक टीचर से मदद मांगी लेकिन कोई सहायता नहीं मिली. सीसीटीवी फुटेज में साफ नजर आ रहा है कि वह लगातार परेशान थी. 

शिक्षकों के भूमिका पर सख्त सवाल

सीबीएसई को दिए अपने लिखित बयान में बताया गया कि क्लास टीचर ने माना है कि बच्ची ने बुरे शब्दों की शिकायत की थी, लेकिन किसी तरह का एक्शन नहीं लिया गया. टीचर ने एसएचओ के सामने माना है कि इस तरह की शिकायतें कई बार आई थीं. टीचर की लापरवाही और संवेदनहीनता को सीबीएसई ने शॉकिंग बताया है. 

सीबीएसई की आपत्तियां

सीबीएसई ने मुख्य तकनीकी और सुरक्षा संबंधी आपत्तियां भी दर्ज की है. इसमें सीसीटीवी मॉनिटरिंग फेल, मल्टी फ्लोर होने के बावजूद स्कूल का सिस्टम अलर्ट नहीं कर पाया. फ्लोर टू फ्लोर मूवमेंट पर भी निगरानी जीरो थी. बिल्डिंग सुरक्षा में खामियां थी. रेलिंग आसान और खतरनाक थी. इसमें राष्ट्रीय भवन संहिता का सीधा उल्लंघन पाया गया है. 

POCSO नियमों का उल्लंघन

इस पूरे घटनाक्रम में POCSO और चाइल्ड प्रोटेक्शन नियमों का उल्लंघन भी देखने को मिला है. बार-बार शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई. सीबीएसई ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा- स्कूल ने अमायरा को मानसिक उत्पीड़न और असुरक्षित वातावरण से बचाने में पूरी तरह से असफलता दिखाई थी. 

सीबीएसई की सख्त चेतावनी

सीबीएसई ने अपने स्कूल मैनेजमेंट से कहा है कि 30 दिनों के भीतर पूरे नोटिस का लिखित जवाब दें. यह भी बताएं कि स्कूल पर क्या दंड न लगाया जाए. अगर स्कूल जवाब नहीं देता, उचित सफाई नहीं दे पाता तो सीबीएसई उसका एफिलिएशन रद्द कर सकता है. इस मामले ने देशभर में स्कूल सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं.