नई दिल्ली: रिया चक्रवर्ती की शिकायत पर सुशांत सिंह राजपूत की बहनों मीतू सिंह और प्रियंका सिंह के खिलाफ दर्ज FIR पर CBI ने बयान जारी किया है. एजेंसी ने इस एफआईआर को गलत बताया है. सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले की सीबीआई जांच कर रही है.


एजेंसी ने कहा कि अटकलों पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती है. सीबीआई ने कहा, " मौजूदा प्राथमिकी में अधिकतर आरोप अनुमान और अटकलों की प्रकृति के हैं."


सात सितंबर को दर्ज की गई थी एफआईआर


मुंबई की बांद्रा पुलिस ने राजपूत की बहनों और दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ. तरूण कुमार के खिलाफ सात सितंबर को यह प्राथमिकी दर्ज की थी. डॉ. कुमार ने इस पर्ची पर हस्ताक्षर किये थे. राजपूत की बहनों ने इस मामले को खारिज करने की मांग करते हुए छह अक्टूबर को याचिका दायर की थी.


बता दें कि अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती ने मंगलवार को बंबई हाई कोर्ट से दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की दो बहनों की याचिका को खारिज करने का अनुरोध किया.


उस याचिका में दोनों बहनों ने अपने भाई के लिए फर्जी मेडिकल बनवाने और हासिल करने के आरोप में उनके विरूद्ध दर्ज की गयी प्राथिमकी को रद्द करने का अनुरोध किया है.


इस मामले में राजपूत की बहनों-प्रियंका सिंह और मीतू सिंह के खिलाफ शिकायतकर्ता अभिनेत्री ने उनकी अर्जी का विरोध करते हुए मंगलवार को हलफनामा दायर किया और कहा कि दोनों के विरूद्ध लगे आरोप गंभीर हैं.


उन्होंने कहा कि राजपूत की बहनों के खिलाफ इस मामले की जांच अभी प्रारंभिक चरण में है, इसलिए जांच एजेंसी को समय दिये जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि राजपूत को वे दवाएं दिलाने में फर्जी मेडिकल पर्ची का उपयोग किया गया जो स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ कानून (एनडीपीएस) के तहत प्रतिबंधित हैं.


चक्रवर्ती ने हलफनामे में कहा, ‘‘राजपूत द्वारा उक्त पर्ची हासिल करने के पांच दिन बाद उनकी मौत हो गयी. इस पर्ची में उन्हें अवैध रूप से उनकी बहन (प्रियंका) और डॉ. प्रियंका कुमार के कहने पर प्रतिबंधित दवाएं लेने को कहा गया है.’’


हलफनामे में कहा गया है कि इसकी जांच की जानी चाहिए कि राजपूत ने वे दवाएं लीं या नहीं, जिससे शायद उनकी मृत्यु हो गयी हो या मानसिक स्थिति और बिगड़ गयी हो . उसमें कहा गया है कि (राजपूत की बहनों की) याचिका को खारिज किया जाए. अभिनेत्री ने अपने वकील सतीश मानशिंदे के माध्यम से हलफनामा दाखिल की है.


न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने इस पर सुनवाई की अगली तारीख चार नवंबर तय की क्योंकि सीबीआई और मुम्बई पुलिस ने अपना-अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा.