Surat Bank Fraud Case: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत ने पंजाब एंड सिंध बैंक, सूरत शाखा के दो पूर्व मैनेजर और एक पूर्व अधिकारी को बैंक धोखाधड़ी का दोषी करार देते हुए तीन साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है.

इसके अलावा,अदालत ने तीनों पर कुल 15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.  सजा पाने वालों में के. आर. गोयल उर्फ कुलवंत राय, राकेश बहल (दोनों तत्कालीन मैनेजर) और शिवराम मीणा (तत्कालीन अधिकारी) शामिल हैं. इन पर बैंक से धोखाधड़ी कर 80.60 लाख रुपये की हेराफेरी करने का आरोप था.

कौन हैं दोषी अधिकारी?

के.आर. गोयल उर्फ कुलवंत राय (पूर्व मैनेजर)राकेश बहल (पूर्व मैनेजर)शिवराम मीणा (पूर्व अधिकारी)इन पर बैंक से 80.60 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप था.

कैसे हुआ था घोटाला?CBI ने 7 नवंबर 2002 को इस मामले में केस दर्ज किया था. जांच में सामने आया कि बैंक के इन अधिकारियों ने निजी फर्मों के मालिकों से मिलीभगत कर बैंक के खातों में अवैध लेनदेन किए. इसमें मेसर्स सत्यंम दलाल, मेसर्स मर्करी गारमेंट्स, मेसर्स मून टेक्सटाइल्स और मेसर्स देसाई दलाल एंड कंपनी के खातों में अनधिकृत तरीके से पैसे डाले गए. 2000 से 2002 के बीच, नियमों की अनदेखी करते हुए, अनधिकृत चेक डिस्काउंटिंग और फर्जी खरीद के जरिए पैसों का लेन-देन किया गया. ये भुगतान बिना किसी सुरक्षा और बिना मंजूरी के किए गए थे. बैंक अधिकारियों ने इन फर्जी लेनदेन को उच्च अधिकारियों से छिपाने की भी कोशिश की.

CBI की चार्जशीट और कोर्ट का फैसला CBI ने 31 मार्च 2004 को इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी.ट्रायल के दौरान 30 गवाहों के बयान दर्ज किए गए और 281 दस्तावेज पेश किए गए. अदालत ने सभी सबूतों को देखने के बाद तीनों बैंक अधिकारियों को दोषी करार दिया और तीन साल की सजा सुनाई.

बैंकिंग क्षेत्र में धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाएंसरकारी और निजी बैंकों को हर साल हजारों करोड़ रुपये के नुकसान का सामना करना पड़ता है. रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों को लगातार धोखाधड़ी के मामलों पर सख्ती से नजर रखने की चेतावनी देता है. इस मामले ने बैंकिंग क्षेत्र में कुप्रबंधन और लापरवाही को उजागर किया है. CBI और अन्य जांच एजेंसियां बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए लगातार ऐसे मामलों की जांच कर रही हैं.

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