नई दिल्लीः कॉफी डे समूह के मालिक वी.जी. सिद्धार्थ के आत्महत्या की परिस्थिति की जांच से पता चला है कि उनकी व्यक्तिगत कंपनियों द्वारा कंपनी से 3,535 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गयी थी. जांच में आयकर विभाग को निर्दोष बताया गया है. विभाग पर सिद्धार्थ को परेशान करने का आरोप लगा था. सीबीआई के पूर्व उप-महानिरीक्षक अशोक कुमार मल्होत्रा की अगुवाई में हुई जांच से पता चला कि सिद्धार्थ की मैसूर एमालगेमेटेड कॉफी एस्टेट लि. (एमएसीईएल) के ऊपर कॉफी डे एंटरप्राइजे लि. की अनुषंगी इकाइयों के 3,535 करोड़ रुपये बकाये थे.


जांच के अनुसार वित्तीय लेखा-जोखा के समेकित ‘ऑडिट’ से यह तो पता चलता है कि इस राशि में से 31 मार्च 2019 तक इन अनुषंगी इकाइयां का एमएसीईएल पर 842 करोड़ रुपये का बकाया था. लेकिन बाकी 2,693 करोड़ रुपये के बकाये का समाधान नहीं हुआ है. कंपनी ने जांच के बारे में शेयर बाजार को दी सूचना में कहा, ‘‘ सीडीईएल की अनुषंगी इकाइयों द्वारा एमएसीईएल से बकाये की वसूली के लिये कदम उठाये जा रहे हैं.’’


अब वसूली के सुझाव के लिए पूर्व न्यायाधीश होंगे नियुक्त


कंपनी के निदेशक मंडल ने उसके चेयरमैन को उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने के लिये अधिकृत किया है जो एमएसीईएल से बकाये की वसूली के बारे में सुझाव देंगे और कार्रवाई पर नजर रखेंगे. इसमें कहा गया है कि सिद्धार्थ की व्यक्तिगत संपत्ति/शेयरों को कंपनी और उसकी अनुषंगी इकाइयों के लिए कर्ज हासिल करने को लेकर गिरवी रखा गया गया था.


कॉफी डे एंटरप्राइजेज लि. (सीडीईएल) के निदेशक मंडल ने 30 अगस्त 2019 को मलहोत्रा को नियुक्त किया था ताकि सिद्धार्थ के 27 जुलाई 2019 के पत्र में दिये गये बयान के हालात और सीडीईएल तथा उसकी अनुषंगी इकाइयों के बही-खातों की जांच की जा सके. सीडीईएल की 49 अनुषंगी इकाइयां हैं।


इसमें कहा गया है, ‘‘एमएसीईएल दिवंगत वीजी सिद्धार्थ की व्यक्तिगत कारोबारी इकाई थी. उसका सीडीईएल की अनुषंगी कंपनियों से कारोबारी संबंध था. एमएसीईएल को सीडीईएल की अनुषंगी कंपनियों ने अग्रिम राशि दी. एमएसीईएल को राशि सामान्य बैंक चैनल के जरिये राशि भेजी गयी थी.’’ जांच रिपोर्ट के अनुसार सीडीईएल से जो राशि ली गयी, उसमें से बड़ा हिस्सा संभवत: पीई (निजी इक्विटी) निवेशकों से शेयर की पुनर्खरीद, कर्ज के भुगतान और ब्याज देने में किया गया होगा.


 आयकर विभाग को क्लीन चिट


जांच रिपोर्ट में आयकर विभाग को सिद्धार्थ को परेशान करने के आरोप से ‘क्लीन चिट’ दी गयी गयी. इसमें कहा गया है, ‘‘संबंधित अवधि के वित्तीय रिकार्ड की जांच से नकदी की काफी कमी का पता चलता है. इसका कारण आयकर विभाग द्वारा माइंडट्री के शेयर को कुर्क करना हो सकता है.’’


जांच रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हम सिद्धार्थ के 27 जुलाई के पत्र में जो बातें थी, उसे मानने के लिये तैयार हैं. उसमें उन्होंने कहा था कि मेरी टीम, ऑडिटर और वरिष्ठ प्रबंधन मेरे लेने-देन से पूरी तरह अनभिज्ञ थे.’’


 वी.जी. सिद्धार्थ ने 31 जुलाई 2019 की थी आत्महत्या


कथित पत्र में सिद्धार्थ ने कहा, ‘‘कानून को केवल मुझे जवाबदेह ठहराना चाहिए क्योंकि मैंने अपने परिवार समेत सभी से सूचना छिपायी थी.’’ सिद्धार्थ 31 जुलाई 2019 को मृत पाये गये थे। उनका शरीर कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के नेत्रवती नदी से बरामद किया गया था. इस बीच, सिद्धार्थ की पत्नी अैर सीडीईएल की निदेशक मालविका हेगड़े ने बोर्ड और संबंधित प्राधिकरण को आगे की कार्यवाही में हर संभव मदद का आश्वासन दिया है.


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