पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के गैर-मुस्लिमों को इंडियन सिटिजनशिप देने के लिए लाए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) में मुस्लिमों को शामिल नहीं करने की काफी चर्चा हो रही है. कई लोगों ने सवाल उठाए हैं कि मुस्लिमों को इसमें क्यों नहीं लाया गया. इस्लामिक स्कॉलर साजिद राशिदी ने भी इसे लेकर सवाल किया और साथ में यह भी पूछा कि क्या सरकार गारंटी लेती है कि जो लोग पाकिस्तान से माइग्रेट होकर आ रहे हैं उनमें कोई इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (ISI) का एजेंट नहीं होगा.


सीएए को लेकर चल रही एक टीवी डिबेट में साजिद राशिदी ने यह सवाल किया. इसके जवाब में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जहां मुस्लिम शब्द कहीं नहीं लिखा है, वहां इन्हें नजर आ रहा है कि इनके साथ भेदभाव हो रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि निजाम-ए-मुस्तफा वाले पाकिस्तान में मुसलमान सेफ नहीं हैं हिंदुस्तान में हैं.


सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, 'इन लोगों को ये धार्मिक मुद्दा नजर आता है. जहां मुस्लिम शब्द कहीं लिखा ही नहीं है, वहां इनको नजर आता है कि मुसलमानों के साथ भेदभाव किया रहा है. अरे भाई उसमें मुस्लिम शब्द कहीं लिखा ही नहीं है. उसमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई लिखा है. दूसरा वो क्यों है मैं वो भी आपको बता देना चाहता हूं. इन तीन चार देशों में देखा जाए तो हम सेक्यूलर देश हैं इसलिए धर्म निरपेक्षता की एक कसौटी है कि इन देशों में जो प्रताड़ित समुदाय हैं उन्हें हम अपने देश में शरण दें.'


सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा, 'धर्म निरपेक्ष भारत की कसौटी है इसलिए हमने ये सेक्यूलर रास्ता चुना है. फिर भी अगर इन्हें लगता है कि मुसलमानों को भी शामिल करना चाहिए तो मैं कहना चाहता हूं कि दिल खोल कर एक बार बोलो तो कि जो निजाम-ए-मुस्तफा है पाकिस्तान में उसमें मुसलमान महफूज नहीं हैं. मोदी के हिंदुस्तान में महफूज हैं. पहले तो कहेंगे मुसलमान को डर लगता है हिंदुस्तान में. अब सीएए में कहेंगे आओ. मेरे भाई स्टैंड क्लियर कर लीजिए कि निजाम-ए-मुस्तफा से ज्यादा महफूज यहां हैं तो हम विचार करेंगे.' 


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