Indo-Pak Border: पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने और बॉर्डर वाले इलाकों में किसी भी तरह की घुसपैठ को रोकने के लिए बीएसएफ नई तैयारी में जुट गई है. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी ने शुक्रवार (6 दिसंबर 2024) को कहा कि सुरक्षा बल जम्मू और पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा पर सुरंगों की पहचान करने और घुसपैठ रोकने के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार प्रणाली का उपयोग कर रहा है.

जम्मू और पंजाब बॉर्डर पर लगाया गया खास सिस्टम

दलजीत सिंह चौधरी ने बताया कि सीमा से आने वाले ड्रोनों को मार गिराने के लिए जम्मू और पंजाब में भारत-पाकिस्तान सीमा पर संवेदनशील स्थानों पर एंटी ड्रोन सिस्टम लगाया गया है. उन्होंने कहा, "बॉर्डर की सुरक्षा को लेकर बीएसएफ की दो बटालियन को पहले ही जम्मू भेजा जा चुका है. हमने संवेदनशील इलाकों की पहचान की है, जिनका इस्तेमाल घुसपैठिए कर सकते हैं. ऐसी जगहों पर हमारे पास पीटीजेड (पैन-टिल्ट-जूम) कैमरे, सेंसर, स्मार्ट फेंसिंग के अलावा हमारे कर्मियों के रूप में तकनीकी निगरानी है. कर्मियों को ट्रेंड किया गया है और उनके पास किसी भी घुसपैठ से निपटने के लिए सबसे अच्छे हथियार हैं."

बीएसएफ ने इस साल गिराए सबसे ज्यादा ड्रोन

बीएसएफ भारत-पाक सीमा की 2289.66 किलोमीटर और भारत-बांग्लादेश सीमा की 4096.70 किलोमीटर की सुरक्षा करती है. बीएसएफ ने एक बयान में कहा कि सुक्षा बलों ने 2024 में पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा पर कम से कम 257 ड्रोन बरामद किए हैं, जो पिछले साल जब्त किए गए 107 ड्रोन और 2022 में जब्त किए गए 22 ड्रोन से काफी अधिक है.

दलजीत सिंह चौधरी ने कहा, "बीएसएफ के पास अलग-अलग जगहों पर एंटी ड्रोन सिस्टम है और वे सफल साबित हो रहे हैं. हमने गांवों में ड्रोन गिराने के लिए जगह की पहचान की है. हमारे पास ड्रोन को मारकर जमीन पर गिराने की टेक्नोलॉजी है. हमने इस साल ज्यादा ड्रोन को मार गिराया है. ड्रग्स की बरामदगी से पता चलता है कि वे इस साल कम नशीले पदार्थ भेजने में कामयाब रहे हैं. हमें सीमा को सुरक्षित रखने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव करते रहना चाहिए."

बांग्लादेश सीमा पर भी बीएसएफ अलर्ट

भारत-बांग्लादेश सीमा पर 5 अगस्त 2024 से अलर्ट है. इसे लेकर बीएसएफ महानिदेशक ने कहा, "सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है और बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (बीजीबी) के साथ नियमित रूप से बैठकें आयोजित की जाती हैं. घुसपैठ रोकने के लिए कम से कम 15 एंटी ह्यूमन ट्रैफ़िकिंग यूनिट स्थापित की गई हैं, जो एजेंसियों के साथ मिलकर काम करती है."

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