नई दिल्ली: अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो यहां की खराब हवा आपको धीरे-धीरे बीमार कर रही है. आपके फेफड़े का रंग गुलाबी से काला होता जा रहा है. क्योंकि इस वक्त दिल्ली-एनसीआर की हवा जहर बन गई है और यहां रहने वाले लोग एक गैस चैंबर में सांस ले रहे हैं. हालात तो इतने खराब हो गए हैं कि हर दिन 20 सिगरेट पीने से फेफड़ों को जितना नुकसान होता है, उससे ज्यादा इस हवा में सांस लेने से हो रहा है. सिगरेट तो केवल फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है लेकिन दिल्ली की हवा आपके फेफड़ों के साथ-साथ पूरे शरीर को नुकसान पहुंचा रही है. इस खतरनाक हवा से सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है.

हाल में आई विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 15 साल से कम उम्र के पूरी दुनिया में 98 फीसदी बच्चों के शरीर में जहरीली हवा पहुंच रही है, जो कि उन्हें धीरे-धीरे बीमार बना रही है. मध्यम आय वाले देशों में पांच साल से कम उम्र के करीब 98 फीसदी बच्चे जहरीली हवा में सांस लेते हैं, जबकि उच्च आय वाले देशों में ये तादाद 52 फीसदी के करीब है.

जहरीली हवा बच्चों के लिए सबसे हानिकारक  वायु प्रदूषण का बच्चों पर सबसे ज्यादा असर हो रहा है क्योंकि वो बड़ों के मुकाबले ज्यादा सांस लेते हैं, जिससे जहरीली हवा उनके शरीर में ज्यादा मात्रा में पहुंच रही है. इस वजह से बच्चों के फेफड़ों ठीक से काम नहीं करते और उनके दिमाग का विकास भी धीरे-धीरे होता है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आजकल छोटे बच्चों में एलर्जी की समस्या बढ़ रही है.

जहरीली हवा से हर साल दिल्ली में 3000 मौतें साल 2016 में, WHO ने सबसे प्रदूषित शहरों की एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया था कि दुनिया के शीर्ष 20 देशों में 14 भारत के हैं. इनमें उत्तर प्रदेश का कानपुर पहले स्थान पर था, जबकि दूसरे नंबर पर दिल्ली था. वायु प्रदूषण से हर साल दिल्ली में करीब 3000 मौतें होती हैं, यानि हर दिन आठ लोग केवल सांस लेने की वजह से मर रहे हैं. 31 अक्टूबर को इंडिया गेट पर वायु प्रदूषण तय सीमा से लगभग तीन गुना ज्यादा था. गाड़ियों से निकलने वाले धुएं और फसलों के अवशेष जलाने से सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होता है. सुबह 9-10 बजे और शाम में 5-7 बजे के बीच सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होता है.

दिल्ली में रहता है हमेशा प्रदूषण वायु प्रदूषण को पार्टिकुलेट मैटर (PM) में मापा जाता है. जब PM 2.5 की मात्रा 60 और PM 10 की मात्रा 100 होती है तो हवा साफ होती है. लेकिन दिल्ली में प्रदूषण का आलम ये है कि यहां आमतौर PM 2.5 की मात्रा 300-600 और PM 10 की मात्रा 1000 तक रहती है. लगातार इस जहरीली हवा के संपर्क में रहने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, सांस लेने में तकलीफ, सांस लेते समय दर्द होना और आंखों की समस्या पैदा हो जाती है. कई मामलों में तो अचानक मौत भी हो जाती हैं क्योंकि जहरीले तत्व फेफड़ों में जमा हो जाते हैं.

कब होता है सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण जब वातावरण का तापमान कम होता है तो वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है. ज्यादा नमी होने की वजह से भी वातावरण में जहरीले कण बढ़ जाते हैं. ऐसे में अगर हवा तेज चलती है तो वायु प्रदूषण का खतरा कम हो जाता है. दिल्ली में अगले कुछ दिनों तक वायु प्रदूषण अपने खतरनाक स्तर पर रहेगा. दो दिन बाद दीवाली भी है और लोग इस दिन पटाखे जलाएंगे, जिससे हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाएगा.