महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे का जलवा खत्म?
एबीपी न्यूज | 23 Feb 2017 09:09 PM (IST)
नई दिल्ली: बीएमसी चुनाव के नतीजों में एमएनएस के अध्यक्ष राज ठाकरे को भारी नुकसान हुआ है, 2009 के चुनाव में पार्टी को लोगों का भारी समर्थन मिला, लेकिन उसके बाद से अब तक लगातार पार्टी हाशिए पर खिसकती चली गई, बीएमसी चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी 203 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी लेकिन उनकी पार्टी महज 7 सीटों पर सिमट गई, वहीं एमएनएस को 2012 के चुनावों में 28 सीटें मिली थी. महाराष्ट्र की राजनीति में राज ठाकरे का जलवा खत्म? ये वो सवाल है जो बीएमसी चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन से उठने लगा है. साल 2009 में 13 विधायकों के साथ महाराष्ट्र की राजनीति में धमाकेदार शुरुआत के बाद आज राज ठाकरे की पार्टी अपने अस्तित्व की लड़ाई हारती नजर आ रही है. जिन मराठी लोगों के नाम पर राज ठाकरे ने राजनीति शुरू की उन्होंने ही उनका साथ नहीं दिया. बीएमसी चुनाव में पार्टी को सिर्फ 7 सीट मिलीं. उत्तर भारतियों की पिटाई, प्रांतवाद की राजनीति, मराठियों के लिए आंदोलन, और पाकिस्तानी कलाकारों का विरोध भी इस राज ठाकरे के काम नहीं आया. बीएमसी चुनाव में पहली बार राज ठाकरे मराठियों के नाम की जगह नासिक में किए गए विकास के नाम पर वोट मांग रहे थे, लेकिन चुनाव से ठीक पहले उनके बेटे की तबीयत खराब हो गई और वो देरी से प्रचार करने उतरे इसका भी उन्हें नुकसान हुआ. जानकारों की मानें तो राज ठाकरे का आलस उनका सबसे बड़ा दुश्मन साबित हुआ. प्रतिभा होने के बावजूद राज ठाकरे ना तो लोगों तक पहुंच पाए और ना ही लोग उन तक. राज ठाकरे के नेतृत्व से लोगों और कार्यकर्ताओं का भरोसा उठने लगा है. उनका मानना है कि राज ठाकरे जो कहते हैं वो कभी पूरा नहीं करते. साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही राज ठाकरे से राजनीतिक गलतियां भी हुईं. लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को समर्थन देना हो या फिर विधानसभा चुनाव में मोदी और बीजेपी के खिलाफ बोलना, इससे उनके वोटर समझ नहीं पाए कि आखिर वो करना क्या चाहते हैं? एमएनएस नेता नितिन सरदेसाई ने कहा कि जनता के दिए निर्णय का हम सम्मान करते है. पार्टी में इस तरह उतार चढ़ाव आते रहते है. हम बैठकर इसका आत्म परीक्षण करेंगे.