आगामी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का सबसे बड़ा दांव मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी पट्टी के राज्यों में है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने इन तीनों ही राज्यों में सामूहिक नेतृत्व में जाने का फैसला लिया है. हिंदी पट्टी के प्रमुख राज्य राजस्थान में कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी चुनाव मैदान में है, लेकिन ऐसा पहली बार है जब बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री के चेहरे का ऐलान नहीं किया जाएगा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की दावेदारी यहां सबसे मजबूत मानी जा रही थी जबकि अर्जुन मेघवाल की दावेदारी मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में उभरकर सामने आयी है, लेकिन पार्टी ने अशोक गहलोत के खिलाफ सामूहिक नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया है.


मध्य प्रदेश में बीजेपी  की सरकार है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं, लेकिन इस बार बीजेपी शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर चुनाव लड़ने के बजाय सामूहिक नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतर रही है. यहां पर ये बताना जरूरी है कि मुख्यमंत्री का चेहरा विधानसभा चुनावों के बाद विधायक ही तय करेंगे बीजेपी की स्थापना के बाद ये दूसरा मौका है जब मुख्यमंत्री होते हुए भी बीजेपी सामूहिक नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में उतर रही है इससे पहले 2021 में असम के विधानसभा चुनाव के समय बीजेपी सर्वानंद सोनोवाल के मुख्यमंत्री रहते हुए भी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरी थी.


मुख्यमंत्री के चेहरे का नहीं होगा ऐलान
राजस्थान और मध्य प्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी फिलहाल मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में किसी को पेश करने नहीं जा रही. यहां पर और मुख्यमंत्री रमन सिंह प्रदेशाध्यक्ष अरूण साहो दसवां, सांसद सरोज पांडे और राम विचार नेताम जैसे दिग्गज नेताओं के होते हुए  बीजेपी ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया है.


इसलिए नहीं कर रही सीएम चेहरे का ऐलान
बीजेपी नेतृत्व का मानना है सामूहिक नेतृत्व से पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं की सामूहिक ताकत पार्टी की बड़ी जीत लिख सकती है और इसलिए बीजेपी तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़ने के बजाय या मुख्यमंत्री के चेहरे का ऐलान करने के बजाय सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने जा रही है.

यूपी की 2017 जैसी जीत दोहराने की कोशिश 
बीजेपी  के एक बड़े नेता ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए बताया बीजेपी उत्तर प्रदेश में 14 साल से वनवास में थी और सत्तापक्ष तोड़ 2017 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक जीत दर्ज की. ऐसी ही जीत की उम्मीद बीजेपी को राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में एक बार फिर से सामूहिक नेतृत्व में भरोसा करने के लिए मजबूर कर रही है.


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