Mecca Masjid blast: हैदराबाद के मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में आज एनआईए की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया. अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया. बरी किए जाने वालों में स्वामी असीमानंद भी हैं. इसलिए मक्का मस्जिद ब्लास्ट में आरोपियों के बरी होने के बाद भगवा आतंकवाद पर राजनीति गरमा गई है. बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस मामले पर कांग्रेस से माफी मांगने को कहा है.


कांग्रेस के चेहरे से मुखौटा उतर गया- बीजेपी

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, आज कांग्रेस के चेहरे से मुखौटा उतर गया है. कांग्रेस जिस प्रकार से हिन्दू आंतकवाद के नाम पर हिन्दू धर्म को बदनाम कर तुष्टिकरण की राजनीति करने का काम कर रही थी, उसका आज पर्दाफाश हो गया है.

इसके साथ ही संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीती कर रही है. कोर्ट के फैसले पर बीजेपी प्रतिक्रिया नहीं देती. बीजेपी प्रवक्ता ने कांग्रेस से सवाल किया, क्या राहुल गांधी इंडिया गेट पर क्षमा याचना के लिए रात 12 बजे आएंगे? दूसरी तरफ स्वामी असीमानंद समेत पांच आरोपियों को बरी किए जाने पर एमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि न्याय नहीं हुआ है.

आपतो बता दें कि साल 2010 में राहुल गांधी ने भारत में तत्कालीन अमेरिकी राजदूत से निजी बातचीत में भगवा आतंकवाद को इस्लामी आतंकवाद से ज़्यादा खतरनाक बताया था. ये बात विकीलीक्स की रिपोर्ट में सामने आई थी. राहुल के इसी बयान से बीजेपी कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाती है.

ओवैसी बोले- ‘न्याय नहीं हुआ’

ओवैसी ने कहा, ‘’जून 2014 के बाद मक्का मस्जिद ब्लास्ट के सभी गवाह मुकर गए. एनआईए ने उस तरह से केस नहीं लड़ा जैसी उम्मीद थी, क्योंकि उसे पोलिटिकल मास्टर से इसकी इजाजत नहीं मिली. अगर ऐसी जांच होती रही तो क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम का क्या होगा? न्याय नहीं हुआ.’’

कौन हैं असीमानंद?

असीमानंद को 19 नवंबर 2010 को उत्तराखंड के हरिद्वार से हैदराबाद, अजमेर और समझौता एक्स्प्रेस ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार किया गया था.

आपको बता दें कि साल 2011 में असीमानंद ने खुद मजिस्ट्रेट के सामने अपने इक़बालिया बयान में कहा था कि अजमेर की दरगाह, हैदराबाद की मक्का मस्जिद बम विस्फोटों में हिंदू चरमपंथियों के हाथ थे. हालांकि, बाद में वो अपने बयान से पलट गए थे. इसे एनआईए के दबाव में दिया गया बयान बताया था.