देशभर में पिछले कुछ दिनों से लगातार माहौल बिगाड़ने की खबरें सामने आ रही हैं, फिर चाहे वो राजधानी दिल्ली हो, राजस्थान हो या फिर मध्य प्रदेश... कई राज्यों से हिंसा की खबरें सामने आईं. इसे लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक चिट्ठी लिखी, जिसमें कांग्रेस को निशाने पर लिया गया. वहीं इसके बाद बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने इसे लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. इसमें भी विपक्ष पर ही हमला बोला गया. 


विपक्षी दलों ने किया भारत के लोगों का अपमान - बीजेपी
गौरव भाटिया ने जेपी नड्डा की चिट्ठी का जिक्र करते हुए कहा कि, हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा जी ने एक बड़ी महत्वपूर्ण चिट्ठी देशवासियों के नाम लिखी है. इसमें प्रमुखता से कुछ मुद्दे उठाए गए हैं. ये सवाल केवल भाजपा के नहीं है बल्कि आज ये सवाल देशवासियों के मन में हैं. इस दौरान बीजेपी प्रवक्ता ने कांग्रेस की चिट्ठी का जिक्र करते हुए कहा कि, अभी दो दिन पहले विपक्षी पार्टियों ने एक चिट्ठी जारी की थी जिसके लिए ये कहना ये गलत नहीं होगा- 'खोटी अपील, खोटी नियत, खोटी कांग्रेस और खोटा विपक्ष'. उस चिट्ठी में भारत के नागरिकों का अपमान किया जा रहा है.


भाटिया ने चिट्ठी को लेकर आगे कहा कि, इस चिट्ठी में राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने प्रमुखता से ये सवाल पूछा है कि आप करौली, राजस्थान पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं, ये देश भी पूछ रहा है. ऐसी क्या है मजबूरी कि मतलूब अहमद है जरूरी. मुख्य आरोपी नामजद है. 16 दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है. चाहे पश्चिम बंगाल हो, झारखंड हो, राजस्थान हो और महाराष्ट्र में भी हम देख रहे हैं कि क्या हो रहा है. ये विपक्षी दल अपील तो करते हैं, लेकिन जो प्रमुख सवाल है उसका उत्तर नहीं देते हैं. 


कांग्रेस शासन में हुए सबसे ज्यादा दंगे - गौरव भाटिया
पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर निशाना साधते हुए गौरव भाटिया ने कहा कि, पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है. लेकिन उस अपील में वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी हैं. जिसकी जवाबदेही है वो हस्ताक्षर कर रहा है और आरोप लगा रहा है. लेकिन संविधान की शपथ लेकर जिस जिम्मेदारी का निर्वहन उन्हें करना है, वो नहीं कर रहे. उन्होंने आगे कहा कि, कांग्रेस पार्टी भूल जाती है कि सबसे ज्यादा दंगे अगर किसी के शासन में हुए तो वो कांग्रेस पार्टी के शासन में हुए हैं. जब खुद कटघरे में खड़े होते हैं तो दुख की बात है कि उसको सही कैसे ठहराते हैं इसका सबसे दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण कोई है तो राजीव गांधी जी हैं. 


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