Ravi Shankar Prasad On Jairam Ramesh: नए संसद भवन पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश की टिप्पणी पर बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने पलटवार किया है. उन्होंने जयराम रमेश के बयान की निंदा करते हुए शनिवार (23 सितंबर) को कहा कि नया संसद भवन सही मायने में भारत में बना है.


बीजेपी सांसद ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा, "आपको संसद का अपमान करने का कोई अधिकार नहीं है. मैं बीजेपी की ओर से इस बयान की निंदा करता हूं." कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा था, "इतने भव्य प्रचार-प्रसार के साथ उद्घाटन किया गया नया संसद भवन प्रधानमंत्री के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से दिखाता है. इसे मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियट कहा जाना चाहिए." 


जयराम रमेश ने की संसद भवन की तुलना


जयराम रमेश ने कहा, "चार दिनों में मैंने देखा कि दोनों सदनों के अंदर और लॉबी में बातचीत और संवाद खत्म हो गया है. यदि वास्तुकला लोकतंत्र को खत्म कर सकती, तो संविधान को फिर से लिखे बिना ही प्रधानमंत्री इसमें सफल हो गए हैं. हॉल के कंपैक्ट (सुगठित) नहीं होने की वजह से एक-दूसरे को देखने के लिए दूरबीन की आवश्यकता महसूस होती है." 


पुरानी इमारत को बताया ज्यादा आरामदायक


पुराने भवन का जिक्र करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा, "पुराने संसद भवन की कई विशेषताएं थीं. एक विशेषता यह भी थी कि वहां बातचीत और संवाद की अच्छी सुविधा थी. दोनों सदनों, सेंट्रल हॉल और गलियारों के बीच आना-जाना आसान था. नया भवन संसद के संचालन को सफल बनाने के लिए आवश्यक जुड़ाव को कमजोर करता है. दोनों सदनों के बीच आसानी से होने वाला समन्वय अब ज्यादा कठिन हो गया है." 


"नई इमारत में भूलभुलैया में खो जाएंगे"


उन्होंने कहा, "अगर आप पुरानी इमारत में खो जाते तो आपको अपना रास्ता फिर से मिल जाता क्योंकि वह गोलाकार है. नई इमारत में यदि आप रास्ता भूल जाते हैं, तो भूलभुलैया में खो जाएंगे. पुरानी इमारत के अंदर और परिसर में खुलेपन का एहसास होता है, जबकि नई इमारत में घुटन महसूस होती है. अब संसद में भ्रमण का आनंद गायब हो गया है. मैं पुरानी बिल्डिंग में जाने के लिए उत्सुक रहता था. नया कॉम्प्लेक्स दर्दनाक और पीड़ा देने वाला है."


जयराम रमेश ने कहा, "मुझे यकीन है कि पार्टी लाइन्स से परे मेरे कई सहयोगी भी ऐसा ही महसूस करते होंगे. मैंने सचिवालय के कर्मचारियों से ये भी सुना है कि नए भवन के डिजाइन में उन्हें काम में मदद करने के लिए आवश्यक विभिन्न व्यावहारिकताओं पर विचार नहीं किया गया है. ऐसा तब होता है जब भवन का उपयोग करने वाले लोगों के साथ ठीक से परामर्श नहीं किया जाता है. 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद शायद नए संसद भवन का बेहतर उपयोग हो सकेगा."


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