राज्यसभा के लिए मनोनीत किए गए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सी सदानंदन मास्टर ने रविवार (13 जुलाई, 2025) को कहा कि पार्टी आलाकमान के फैसले और उनकी नयी जिम्मेदारी का उद्देश्य ‘विकसित केरलम’ (विकसित केरल) के मूल लक्ष्य को हासिल करना है.

भाजपा नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिन पहले एक बातचीत के दौरान इस नए पद का संकेत दिया था और उन्हें आज सुबह मनोनीत किए जाने के बारे में पता चला. सदानंदन मास्टर राजनीतिक रूप से अस्थिर कन्नूर जिले से ताल्लुक रखते हैं और राजनीतिक हिंसा के शिकार रहे हैं. साल 1994 में कथित माकपा कार्यकर्ताओं के एक हमले में उनके दोनों पैर कट गए थे.

कई सालों से पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका

भाजपा नेता पूर्व में स्कूल शिक्षक थे और वह कई सालों से पार्टी के विभिन्न कार्यक्रमों और भूमिकाओं में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं. उन्होंने मीडिया से कहा, ‘राष्ट्रीय नेतृत्व खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फैसला, केरल में पार्टी की गतिविधियों और पहलों को मजबूती देगा.’

भाजपा नेता ने कहा कि केरल में भाजपा एक नाजुक मोड़ पर है और दो अहम चुनाव, स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनाव नजदीक हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने हाल ही में इस संबंध में एक संदेश दिया था, जिसमें ‘विकसित केरलम’ को इसका मुख्य उद्देश्य बताया गया था.

प्रधानमंत्री ‘विकसित केरलम’ के लक्ष्य को करेंगे पूरा

मास्टर ने कहा, ‘पार्टी इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रही है और निर्णय ले रही है. राज्यसभा के लिए मनोनयन को भी इसी का एक हिस्सा माना जा सकता है.’ भाजपा नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ‘विकसित केरलम’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राजनीति से परे कई कार्यक्रमों के क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान दे रहे हैं.

राज्यसभा के नए सदस्य के रूप में उनकी प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर मास्टर ने कहा कि जहां तक उनके जैसे व्यक्ति का सवाल है, सेवा ही उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसे जारी रखा जाएगा. प्रधानमंत्री ने सदानंदन मास्टर को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने के बाद रविवार को उनकी सराहना करते हुए कहा कि उनका जीवन साहस और अन्याय के आगे न झुकने की भावना का प्रतीक है.

शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सराहनीय कार्य

मोदी ने कहा, ‘हिंसा और धमकी राष्ट्र के विकास के प्रति उनके जज्बे को नहीं रोक सकी. एक शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी उनके प्रयास सराहनीय हैं. युवा सशक्तीकरण के प्रति उनकी गहरी आस्था है.’

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