नई दिल्लीः उत्तराखंड विधानसभा ने प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने वाले विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया. इससे पहले, उत्तराखंड लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण) विधेयक को सदन से सर्वसम्मति से पारित करने का आग्रह करते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि प्रदेश में सामान्य वर्ग के अंतर्गत आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों का लोक सेवा और पदों में प्रतिनिधित्व अन्य वर्गो की तुलना में आनुपातिक रूप से पर्याप्त नहीं है और इसलिये लोक सेवाओं में अवसर की समानता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस विधेयक को पारित करना आवश्यक है.

मुख्य विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों ने भी इस विधेयक का समर्थन किया लेकिन उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास नहीं होना चाहिए क्योंकि अन्य वर्गो के लिये पूर्व से जारी आरक्षण का पूरा लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है.

बहस के बाद पारित विधेयक चकराता से विधायक और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार से पूछा कि अन्य वर्गो के लिये आरक्षित पदों पर जो बैकलॉग है, उसे कब तक भरा जायेगा. नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश ने कहा कि प्रदेश में रिक्तियां ही नहीं हैं और जो हैं उन्हें धन की कमी के कारण नहीं भरा जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि यह विधेयक एक मृग मरीचिका साबित होगा और बेरोजगारों की इतनी बड़ी संख्या है कि सरकार को इसका राजनीतिक लाभ नहीं मिल पायेगा. हालांकि, बहस के बाद सदन ने विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया.

विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि लोक सेवाओं और पदों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के तहत उत्तराखंड के उन स्थायी निवासियों को आरक्षण प्राप्त होगा जो अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण की मौजूदा योजना के अंतर्गत सम्मिलित नहीं हैं.

किन्हें मिलेगा आरक्षण यह आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के ऐसे व्यक्तियों को मिलेगा जिनके परिवारों की सभी स्रोतों से कुल वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम होगी. परिवार की आय में सभी स्रोतों से अर्थात वेतन, कृषि, व्यवसाय आदि से प्राप्त आय को शामिल किया जायेगा और लाभार्थी द्वारा आवेदन के वर्ष से पूर्व के वित्तीय वर्ष की आय को आधार माना जायेगा.

हालांकि, जिन व्यक्तियों या उनके परिवारों के पास पांच एकड़ या उससे अधिक कृषि भूमि या 1000 वर्ग फुट या उससे अधिक का आवासीय भवन या अधिसूचित नगर पालिकाओं के अलावा अन्य क्षेत्रों में 200 वर्ग गज या उससे अधिक के भूखंड होंगे, उन्हें इस आरक्षण का फायदा नहीं मिल पायेगा. इससे पूर्व, राज्य सरकार पांच फरवरी को अध्यादेश के जरिये प्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिये पहले ही 10 फीसदी आरक्षण लागू कर चुकी है.

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