बिहार विधानसभा चुनाव के शुरुआती रुझानों में चिराग पासवान की पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने अपने पिताजी रामविलास पासवान का रिकॉर्ड तोड़ते नजर आ रहे हैं. पार्टी को 29 सीटों में से 22 सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है, जो रामविलास पासवान के करियर में अब तक हासिल की गई सबसे अधिक जीत के बराबर है.
एनडीए के साथ गठबंधन में चुनावएलजेपी ने इस बार बीजेपी और जेडीयू के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चिराग पासवान ने अपने आप को पार्टी का स्पष्ट और सशक्त नेता के रूप में स्थापित किया, जिससे पार्टी को यह शानदार बढ़त मिली.
रामविलास पासवान का रिकॉर्ड तोड़ सकते हैंरामविलास पासवान ने अपने पूरे राजनीतिक करियर में अधिकतम 22 विधानसभा सीटें जीती थीं. इस बार चिराग पासवान अपने पिताजी का यह रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं. चिराग के 29 उम्मीदवारों में से 10 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्हें पहले से पार्टी या गठबंधन द्वारा समर्थित किया गया था.
एनडीए की स्थिति मजबूतबिहार में एनडीए कुल 243 सीटों में 194 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. वहीं, महागठबंधन का प्रदर्शन अब तक सबसे कमजोर रहा है. आरजेडी 34 सीटों पर, कांग्रेस 7 और लेफ्ट पार्टियां 4 सीटों पर आगे चल रही हैं.
राजनीतिक कौशल और नेतृत्वविश्लेषकों का कहना है कि इस सफलता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शीर्षस्थ नेतृत्व और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का साथ अहम रहा. चिराग पासवान ने अपने आप को नई ऊर्जा और युवा नेतृत्व के रूप में पेश किया, जिससे जनता का विश्वास हासिल हुआ.
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए में सीटों का बंटवारा इस बार कुछ इस प्रकार हुआ कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा. वहीं, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटें मिलीं. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और राज्यसभा सदस्य उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोपा) को छह-छह सीटें मिली हैं.
पिछला विधानसभा चुनाव साल 2020 के विधानसभा चुनाव में JDU ने 115, BJP ने 110 और हम ने सात सीटों पर चुनाव लड़ा था. वहीं, उस समय चिराग पासवान की LJP ने एनडीए से अलग होकर 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. 2020 में LJP को केवल एक ही सीट- मटियानी पर जीत मिली थी. हालांकि, उस सीट के विधायक ने बाद में पाला बदला और JDU में शामिल हो गए.