राजनीति में जब कभी किसी विकासपुरुष और न्याय देने वाले  राजनेता की छवि को याद किया जाएगा, तो वो और कोई नहीं, चाणक्य और बुद्ध की धरती से उपजे, जेपी के शिष्य और लगातार 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने की लाइन में अव्वल स्थान पर खड़े नीतीश कुमार बिहार की राजनीति का ध्रुव तारा बनकर जगमगाते रहेंगे. 

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एक बार फिर स्पष्ट बहुमत के साथ NDA के विधायक दल के नेता चुने गए जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. पटना के गांधी मैदान में भव्य शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा. आयोजन में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे. 

लेकिन, इससे इत्तेफाक एक बात है, जो नीतीश कुमार के बारे में कही जाएगी, कि आखिर देखते ही देखते कैसे वो बिहार की राजनीति के साइलेंट किलर बन गए. 

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अब तक कैसा रहा नीतीश का राजनीतिक सफर

नीतीश की छवि एक ऐसे नेता के तौर पर विकसित हुई, जो बिना किसी शोर-शराबे के बिहार के वोटरों को अपनी ओर मोड़ने की महारत लिए चुनावी मैदान में उतरता है. उनका सामाजिक समीकरण, विकास की योजनाएं और प्रदेश की संस्कृति को हिम्मत देना. 

हमें इन सभी बातों को समझने के लिए थोड़ा पीछे चलना पड़ेगा. नीतीश कुमार की 20 वर्षों की राजनीति को देखें तो उनकी पूरी राजनीति न्याय के साथ-साथ विकास की राजनीति रही. नीतीश ने बिहार की लड़कियों को हिम्मत दी. उन्हें आंगन के बाहर का रास्ता दिखाया. इसके अलावा उन्होंने अति पिछड़ा समाज को भी न्याय और विकास के पहलुओं से रुबरू कराया. 

उन्होंने जीविका दीदी योजना के तहत महिलाओं को विकास की राह से जोड़ा. सिर उठाने का मौका दिया. जाति बंधन को तोड़कर महिलाएं आगे आईं. 

सोशल इंजीनियरिंग में माहिर हैं नीतीश

नीतीश सोशल इंजीनियरिंग को लेकर काफी चर्चित रहे हैं. कुर्मी और कोइरी जाति के समीकरण ने नीतीश को सत्ता में बने रहने की मजबूती दी. बिहार में लव कुश की जोड़ी कही जाने वाली कुर्मी और कोइरी जाति के बीच में सेतु का काम नीतीश ने किया. उन्होंने दोनों के बीच टिकट बंटवारे में संतुलन बनाए रखा. 

एक बात और.. जिससे नीतीश का चेहरा राज्य में धर्मनिरपेक्ष का सबसे बड़ा चेहरा कहा जाने लगा. उन्होंने कभी भी मुस्लिम समाज के प्रति कड़वाहट नहीं रखी. इसके अलावा सर्वण समुदाय को भी अपने राजनीतिक दायरे में जोड़े रखा. इससे पूरे बिहार में एक संदेश गया कि नीतीश कुमार सबके हैं. महिलाओं को मिली हिम्मत नीतीश के पक्ष में वोट के रूप में तब्दील हो गई. वह महिलाओं का सबसे भरोसेमंद चेहरा बनकर उभरे. 

इसके अलावा महिलाओं के लिए नीतीश कुमार इसलिए भी सराहे गए, जब उन्होंने पूरे राज्य में शराबबंदी का ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इसमें घरेलू महिलाओं को राहत मिली. हालांकि, समाज का वर्ग बंटा हुआ नजर आया, लेकिन महिलाओं के लिए नीतीश कुमार एक विश्वास पात्र के तौर पर बनकर उभरे. इधर, 10 हजार रुपए देकर नीतीश कुमार ने महिलाओं के समर्थन को चुनाव में गहराई से मजबूती दी. 

इनके अलावा उनका बीजेपी से तालमेल भी फायदा दे गया. बीजेपी जहां नीतीश की कार्यशैली और नेटवर्क का फायदा उठाते दिखी, तो वहीं मोदी का कोई पुरजोर विरोध भी जमीन पर नहीं दिखा. यही वजह रही कि बिहार में एनडीए का गठबंधन 200 के पार चला गया.