बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा शुक्रवार (14 नवंबर, 2025) को हो जाएगी. रुझानों में एनडीए गठबंधन एक बार फिर बिहार की सत्ता पर काबिज होता नजर आ रहा है. एनडीए 180-197 सीटों पर आगे चल रहा है, यानी बहुमत के आंकड़े से भी बहुत आगे. एनडीए के दलों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) 82 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि नीतीश कुमार का जनता दल (यूनाइटेड) 75 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का महागठबंधन 40-51 सीटों पर आगे चल रहा है. आरजेडी अकेले 36 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है.
रुझानों में एनडीए की सरकार बनती दिख रही है, लेकिन अब सबके मन में सवाल है कि क्या नीतीश कुमार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे. हालांकि, नीतीश कुमार चुनावी मैदान में नहीं हैं और इस बार ही नहीं वह 1995 से कोई विधानसभा चुनाव लड़े ही नहीं है. उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के लिए विधान परिषद का रास्ता चुना है.
नीतीश कुमार की विधान परिषद की सदस्यता मई, 2030 में खत्म हो रही है. वह पटना सीट से एमलएसी हैं. नीतीश कुमार ने साल 1985 में पहली बार चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे. उन्होंने 1977, 1980 और 1985 में विधानसभा चुनाव लड़ा और उसके बाद सीधे 1995 में वह फिर हरनोत सीट से मैदान में उतरे, लेकिन इसे बरकरार नहीं रख सके क्योंकि उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति की राह पकड़ ली.
नीतीश कुमार 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लगातार छह बार लोकसभा सांसद बने. नीतीश कुमार ने साल 2000 में पहली बार मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी, लेकिन वह किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे इसलिए उन्होंने आठ दिन में ही पद से इस्तीफा दे दिया. साल 2005 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़े बिना ही फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इस बार उन्होंने विधान परिषद का रास्ता चुना. तब से वह लगातार विधान परिषद का चुनाव जीतकर सीएम की कुर्सी पर काबिज हैं.
नीतीश कुमार पिछले साल विधान परिषद का चुनाव जीते हैं और उनकी सदस्यता 2030 में खत्म हो रही है. तो अगर वह इस बार भी मुख्यमंत्री बनते हैं तो बिना विधानसभा सदस्य बने अगले चुनाव तक उनकी कुर्सी बरकरार रहेगी.