नई दिल्लीः पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब 'द प्रेसिडेंशियल इयर्स' में नेपाल के हवाले से पंडित नेहरू को लेकर एक बड़ा चौंकाने वाला खुलासा किया है. प्रणब दा ने किताब में बताया है कि नेपाल में राणा राज खत्म होने के बाद नेपाल को भारत का एक प्रोविन्स बना लिए जाने के प्रस्ताव को नेहरू ने ठुकरा दिया था.


प्रणब मुखर्जी लिखते है कि नेपाल के तत्कालीन राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह ने पंडित नेहरू को प्रस्ताव दिया था कि नेपाल को भारत अपना एक प्रोविन्स बना लें मगर पंडित नेहरू ने इस प्रस्ताव को ये कह कर ठुकरा दिया था कि नेपाल एक स्वतंत्र राष्ट्र है और उसे स्वतंत्र राष्ट्र हीं रहना चाहिए.


प्रणब मुखर्जी ने किताब मे इस बाबत कहा है कि नेहरू मानना था कि अलग-अलग प्रधानमंत्री विदेश नीति, सुरक्षा और आंतरिक प्रशासनिक मसलों पर अलग अलग फैसले कर सकते हैं, भले हीं वे सब एक हीं दल के क्यों ना हो. मसलन लाल बहादुर शास्त्री ने कई फैसले नेहरू की सोच से अलग फैसले लिए.


इंदिरा गांधी को प्रस्ताव मिला होता तो नहीं चुकतीं मौका
यही नहीं प्रणब मुखर्जी ने किताब में नेपाल के बनिस्पत ये भी लिखा है कि उन्हें लगता था कि अगर नेपाल का भारत में शामिल किए जाने का प्रस्ताव नेहरू कि जगह इंदिरा गांधी को दिया होता तो वो सिक्किम की ही तरह ये मौका ना चुकती.


कांग्रेस में करिश्माई नेतृत्व खत्म होने से 2014 में हुई हार
प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब में लिखा है कि कांग्रेस का अपने करिश्माई नेतृत्व के खत्म होने की पहचान नहीं कर पाना 2014 में उसकी हार का एक बड़ा कारण बना और इसी वजह से यूपीए सरकार एक मध्यम स्तर के नेताओं कि सरकार बन कर रह गई थी. मुखर्जी ने ये भी लिखा है कि नरेंद्र मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में संसद को सुचारू रूप से चलाने में विफल रहे और इसकी वजह उसका अहंकार रहा. हलाकि प्रणब मुखर्जी ने विपक्ष कि भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं.


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