PVR INOX Fine Case: बड़ी स्क्रीन पर फिल्म देखने के लिए लोग सिनेमाघरों का रुख करते हैं लेकिन अब इस दौरान लंबे-लंबे एड्स भी देखने पड़ते हैं. फिल्म की ड्यूरेशन तो कम होती है मगर इन विज्ञापनों की वजह से समय बढ़ जाता है. इस समस्या को बेंगलुरु में रहने वाले एक शख्स ने गंभीरता से लिया और कंज्यूमर कोर्ट पहुंच गया.
मामले में बेंगलुरु की एक जिला उपभोक्ता अदालत ने थिएटर पीवीआर आईनॉक्स को अत्यधिक विज्ञापन प्रसारित करके फिल्म स्क्रीनिंग में देरी करने का दोषी पाया है और इसे 'अनुचित' व्यापार व्यवहार करार दिया है. अदालत ने मल्टीप्लेक्स दंड दिया और हर्जाने के तौर पर एक लाख रुपये देने और यह सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया कि दर्शकों को फिल्म के शुरू होने का वास्तविक समय स्पष्ट रूप से बताया जाए.
जानें क्या है पूरा मामला?
बेंगलुरु के रहने वाले एक शख्स ने अपने दो परिवारिक सदस्यों के साथ दिसंबर 2023 में फिल्म ‘सैम बहादुर’ का शाम 4.05 बजे का शो देखने के बाद यह मामला दायर किया था. देर तक विज्ञापन दिखाए जाने के कारण फीचर फिल्म शाम 4.30 बजे शुरू हुई जिससे उनका कार्यक्रम गड़बड़ा गया और समय भी बर्बाद हुआ. शिकायतकर्ता को असुविधा और मानसिक परेशानी के लिए 20,000 रुपये और मुकदमे की लागत को कवर करने के लिए 8,000 रुपये अलग से दिए गए.
‘तेज रफ्तार की दुनिया में समय कीमती’
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि आज की तेज़-रफ़्तार दुनिया में समय बहुत कीमती है और किसी भी व्यवसाय को उपभोक्ताओं के समय और पैसे का अनुचित लाभ उठाने का अधिकार नहीं है. अदालत ने कहा, “विज्ञापन देखने में 25 से 30 मिनट बिताना समय की एक महत्वपूर्ण बर्बादी है, खासकर ऐसे लोगों के लिए जिनकी दिनचर्या बहुत व्यस्त है. लोग तनावमुक्त होने के लिए मनोरंजन चाहते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी कोई अन्य ज़िम्मेदारियां नहीं हैं.”
पीवीआर आईनॉक्स ने क्या कहा?
पीवीआर आईनॅाक्स ने सरकारी नियमों का हवाला देते हुए फिल्मों से पहले सार्वजनिक सेवा घोषणाओं (पीएसए) की स्क्रीनिंग की जरूरत का बचाव किया. हालांकि, अदालत ने कहा कि ये दिशानिर्देश ऐसी स्क्रीनिंग को अधिकतम 10 मिनट तक सीमित करते हैं. शिकायतकर्ता ने विज्ञापनों को सबूत के तौर पर रिकॉर्ड किया था, जिससे पीवीआर आईनॅाक्स ने तर्क दिया कि इसने पायरेसी विरोधी कानूनों का उल्लंघन किया. अदालत ने इस दावे को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि केवल विज्ञापन ही रिकॉर्ड किए गए थे, न कि फ़िल्म और ऐसा दर्शकों को प्रभावित करने वाले मुद्दे को उजागर करने के लिए किया गया था.
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