Bengal Teachers Recruitment Scam: सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनते ही रो पड़े कई शिक्षक, बोले- 30 साल से ज्यादा हो गई उम्र, बताएं...
एक शिक्षक ने कहा कि उन्होंने 2016 की एसएससी परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन सरकार के एक वर्ग के भ्रष्ट आचरण के कारण कुछ अयोग्य उम्मीदवारों को नियुक्ति में मदद मिली, जिससे हमारी पूरी दुनिया तबाह हो गई.

बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कई उम्मीदवार रो पड़े और उन्होंने इस स्थिति के लिए राज्य और केंद्र सरकार दोनों को जिम्मेदार ठहराया है. कोर्ट ने राज्य के स्कूल/कॉलेजों में भर्ती हुए करीब 26 हजार शिक्षकों की नौकरी रद्द कर दी है.
पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग की ओर से आयोजित 2016 की भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सैकड़ों शिक्षक महीनों से कोलकाता के मध्य में धरना दे रहे थे और अनुरोध कर रहे थे कि न्यायपालिका फैसला देते समय उनके मामलों के गुण-दोष पर विचार करे और उसे मान्य किया जाए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में सुनने के बाद उनमें से कई रो पड़े.
राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त स्कूल में काम करने वाले एक शिक्षक ने संवाददाताओं से कहा, 'हम सारी उम्मीदें खो चुके थे. हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं, लेकिन हमारी क्या गलती है? हमने 2016 की एसएससी परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन सरकार के एक वर्ग के भ्रष्ट आचरण के कारण कुछ अयोग्य उम्मीदवारों को नियुक्ति में मदद मिली, जिससे हमारी पूरी दुनिया तबाह हो गई.' एक अन्य उम्मीदवार ने आरोप लगाया कि इस स्थिति के लिए राज्य और केंद्र दोनों जिम्मेदार हैं.
उन्होंने सवाल किया, 'हमने सुना है कि हमें फिर से एसएससी परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाएगी. अगर यह 2016-17 में होता, तो हम इस संभावना को लेकर उत्साहित होते और नए सिरे से शुरुआत करते, लेकिन हमें बताएं कि अब जब हम 30 साल की आयु सीमा पार कर चुके हैं, तो हमारे लिए यह कैसे संभव होगा?.'
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी करीब 26,000 शिक्षकों की दुर्दशा के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफे की मांग की. बीजेपी के बंगाल इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'शिक्षक भर्ती में इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की पूरी जिम्मेदारी राज्य की विफल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ममता बनर्जी के शासन में कैसे पश्चिम बंगाल में शिक्षित बेरोजगार युवाओं की योग्यता को पैसे के बदले बेचा गया.'
उन्होंने मांग की कि बनर्जी को इस भ्रष्टाचार की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने कहा, 'अब और माफी नहीं.' ‘एक्स’ पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में मजूमदार ने उन योग्य उम्मीदवारों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की, जिन्होंने अपने कौशल और योग्यता का उपयोग करके नौकरी पाई, लेकिन ममता बनर्जी सरकार द्वारा पूरी भर्ती प्रक्रिया के भ्रष्ट संचालन के कारण वे पीड़ित बन गए. यह भ्रष्ट भर्ती प्रक्रिया अनियमित तरीके से बड़ी संख्या में दागी शिक्षकों को नौकरी दिलाने के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है.
मजूमदार ने कहा, 'उन्हें (अयोग्य उम्मीदवारों को) योग्य उम्मीदवारों से अलग नहीं किया जा सका. भ्रष्ट ममता बनर्जी सरकार को राज्य के लोगों, खासकर योग्य शिक्षकों के परिवारों को स्पष्टीकरण देना चाहिए.' तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य डोला सेन ने कहा कि पार्टी फैसले का सम्मान करती है और उन्होंने कहा कि पार्टी हमेशा से भ्रष्टाचार के खिलाफ रही है. उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि राज्य सरकार आदेश, कानूनी मुद्दों की गहनता से जांच करेगी और कानूनी विशेषज्ञों से बात करने के बाद उचित कदम उठाएगी. पार्टी हमेशा योग्य उम्मीदवारों के साथ खड़ी रहेगी.'
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Source: IOCL
























