Azam Khan: समाजवादी पार्टी नेता आज़म खान की जमानत पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में 5 महीने से आदेश लंबित होने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे न्यायिक प्रक्रिया का मज़ाक बताया है. जस्टिस एल नागेश्वर राव और बी आई गवई की बेंच ने सुनवाई बुधवार, 11 मई के लिए टालते हुए कहा- "हम हाई कोर्ट के आदेश की प्रतीक्षा करना चाहते हैं. ज़रूरी हुआ तो आदेश देंगे."



जेल में रहते हुए यूपी के रामपुर से विधायक चुने गए आजम खान फरवरी, 2020 से जेल में बंद हैं. उनके ऊपर लगभग 90 आपराधिक केस हैं. यह केस यूपी पुलिस के अलावा केंद्रीय एजेंसियों ने भी दर्ज किए हैं. उनकी याचिका में बताया गया कि 86 मामलों में उन्हें जमानत मिल गई है. लेकिन हाई कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर से एक मामले में जमानत पर आदेश सुरक्षित रखा हुआ है. कई बार आवेदन देने के बावजूद आदेश नहीं दिया गया है.


यह न्यायिक प्रक्रिया का मज़ाक है- जज


आज यूपी सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में मामले में एक अर्ज़ी दी थी, गुरुवार को हाई कोर्ट ने उस पर आदेश सुरक्षित रखा है. इस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए जस्टिस नागेश्वर राव ने कहा- "आदेश सुरक्षित रखने का क्या मतलब है? 137 दिन से आदेश नहीं आया. यह न्यायिक प्रक्रिया का मज़ाक है. आरोपी को 86 मामलों में जमानत मिल चुकी है. 1 मामला रुका है. हम इससे ज़्यादा अभी कुछ कहना नहीं चाहते." जजों ने यह भी कहा कि वह हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं. अगर ज़रूरी लगा तो अगली सुनवाई में हम आदेश पारित करेंगे.


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