राम मंदिर की तीन मंजिलों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है, जिसके बाद आज (25 नवंबर, मंगलवार) को धर्म ध्वजारोहण का समारोह हो रहा है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के शिखर पर धर्म पताका लहराया. ऐसे में जानते हैं कि राम मंदिर को बनाने का काम कब से शुरू हुआ और इसे पूरा होने में कितना समय लगा. 

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कैसे हुई राम मंदिर निर्माण की यात्रा की शुरुआत

इस यात्रा की शुरुआत 9 नवंबर 2019 को हुई, जब सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इसके बाद 5 फरवरी 2020 को केंद्र सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की स्थापना की घोषणा की, ताकि मंदिर निर्माण की प्रक्रिया औपचारिक रूप से आगे बढ़ सके.

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5 अगस्त 2020 को पीएम मोदी ने किया भूमिपूजन

इसके बाद 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का भूमिपूजन किया, जिसे पूरी दुनिया ने एक ऐतिहासिक अध्याय के रूप में देखा. इस दिन रामलला के मंदिर निर्माण का शुभारंभ आधिकारिक रूप से हुआ.

22 जनवरी 2024 को हुई रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

लगभग साढ़े तीन वर्षों बाद, 22 जनवरी 2024 को वह पवित्र घड़ी आई जिसका करोड़ों भारतीयों को इंतजार था. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा. भव्य समारोह, वैदिक विधि-विधान और देशभर की भावनाओं के बीच भगवान राम के विग्रह को गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया.

14 जून 2025 को भक्तों के लिए खोला गया राम दरबार

इसके बाद 14 जून 2025 को भक्तों के लिए राम दरबार खोला गया. भव्य सज्जा, दिव्य वातावरण और लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ ने इस दिन को यादगार बना दिया. जनता को पहली बार पूर्ण रूप में राम दरबार के दर्शन करने का सौभाग्य मिला.

25 नवंबर 2025 को फहराया गया धर्म ध्वज

25 नवंबर 2025 को मंदिर को नई पहचान मिली है. मंदिर के शिखर पर 22×11 फीट का धर्म ध्वज फहराया गया. यह ध्वज केवल धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था, गर्व और सदियों के संघर्ष का प्रतीक माना जा रहा है.

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