प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के ऊपर ध्वजारोहण को युगांतकारी क्षण बताया. उन्होंने कहा कि सदियों के जख्म और दर्द भर रहे हैं क्योंकि 500 साल पुराना संकल्प आखिरकार राम मंदिर के औपचारिक निर्माण के साथ पूरा हो रहा है. उन्होंने इसे सांस्कृतिक पुनरुत्थान, आध्यात्मिक निरंतरता और सामूहिक शक्ति का प्रतीक घोषित किया. पीएम मोदी का ये भाषण औपचारिक क्षण से बढ़कर विकसित भारत के विजन का स्टेटमेंट लग रहा था. इस भाषण में उन्होंने भगवान राम, राम मंदिर से लेकर मैकाले तक का जिक्र किया और अयोध्या की धरती से पूरी दुनिया को संदेश पहुंचाया.

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1- 500 साल की विरासत का पुनर्जन्म

राम मंदिर के ध्वजारोहण वाले दिन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदियों पुरानी आध्यात्मिक यात्रा का समापन बताया. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के ऊपर स्थापित धर्मध्वजा केवल एक ध्वज नहीं है; यह पुनर्जन्म लेती राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है. पीएम ने कहा कि सदियों के ज़ख्म भर रहे हैं और सदियों के संघर्ष का अंत हो गया है. उन्होंने कहा, '500 सालों से प्रज्वलित एक सभ्यतागत ज्योति अपनी पूर्णता तक पहुंच गई है. धर्मध्वजा भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का ध्वज है.'

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2- PM मोदी ने राम को बताया विकसित भारत का मार्गदर्शक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'यदि भारत को एक विकसित राष्ट्र बनना है तो हमें अपने भीतर राम को जगाना होगा.' उन्होंने कहा कि राम सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, एक मूल्य हैं, एक मर्यादा हैं, एक दिशा हैं. पीएम मोदी ने भगवान राम को सत्य और वीरता का संगम, कर्तव्य और करुणा का अवतार, विनम्रता का आदर्श, न्याय, लोक कल्याण और सदाचार का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि हमें अपने भीतर के राम की समीक्षा करनी होगी. इस संकल्प के लिए आज से बेहतर दिन क्या हो सकता है.

3- गुलामी मानसिकता से मुक्ति का आह्वान

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में औपनिवेशिक शासन द्वारा छोड़ी गई बेड़ियों को तोड़ने का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा, 'आज से 190 साल पहले 1835 में मैकाले नाम के एक अंग्रेज ने भारत को उसकी जड़ों से उखाड़ने के बीज बोये थे. कुछ दिन पहले हमने एक कार्यक्रम में आग्रह किया था कि आने वाले 10 वर्षों में भारत को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे. देश को आगे बढ़ना है तो अपनी विरासत पर गर्व करना होगा. हमें गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्त होना होगा.' 

मोदी ने कहा, 'आज राम मंदिर के प्रांगण में हमारी स्‍मृति की वापसी है, हमारी अस्मिता का पुनर्जागरण है.'  उन्होंने कहा, 'मैकाले ने जो कुछ सोचा था. हमें आजादी मिली, लेकिन हीन भावना से मुक्ति नहीं मिली. हमारे यहां एक विकार आ गया कि विदेश की हर व्यवस्था अच्छी है और हमारी जो अपनी चीजें हैं, उनमें खोट ही खोट है. गुलामी की यही मानसिकता है.'  उन्‍होंने कहा, 'कहा गया कि हमारा संविधान विदेश से प्रेरित है, जबकि सच्चाई यह है कि भारत लोकतंत्र की जननी है. लोकतंत्र हमारे DNA में है.' 4- भविष्य के भारत का मॉडल बनेगी अयोध्या 

प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या को आने वाली सदी के भारत के खाके के रूप में प्रस्तुत किया. उन्होंने भगवान राम की जन्मभूमि की महिमा का बखान करते हुए कहा कि अयोध्या तब मर्यादा का केन्‍द्र थी और अब यह विकसित भारत का मेरुदंड बनकर उभर रही है. मोदी ने कहा कि भविष्य की अयोध्या में पौराणिकता और नूतनता का संगम होगा. सरयू की अमृत धारा, विकास की धारा एक साथ बहेगी. यहां आध्यात्मिकता और विकास दोनों का संगम दिखेगा. 

उन्होंने कहा, 'अयोध्या धाम में रामलला का मंदिर परिसर और उसे संवारने का कार्य लगातार जारी है. अयोध्या फिर से वह नगरी बन रही है जो दुनिया के लिए उदाहरण बनेगी. त्रेता युग ने मानवता को नीति दी और 21वीं सदी की अयोध्या मानवता को विकास का नया मॉडल दे रही है.'पीएम मोदी ने अयोध्या में विकास की विभिन्न योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि राम पथ, भक्ति पथ और जन्मभूमि पथ से नई अयोध्या के दर्शन होते हैं. उन्होंने कहा कि अयोध्या में भव्य हवाई अड्डा, शानदार रेलवे स्टेशन, वंदे भारत-अमृत भारत एक्‍सप्रेस जैसी ट्रेन इसे देश से जोड़ रही हैं.

5- राष्ट्र की एकता के लिए अपील 

पीएम मोदी ने कहा कि विकसित भारत बनाने के लिए समाज की सामूहिक शक्ति की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, 'मुझे खुशी है कि राम मंदिर का प्रांगण भारत के सामूहिक सामर्थ्‍य की भी चेतना स्‍थली बन रहा है. यहां सप्‍त मंदिर बने हैं, यहां माता शबरी का मंदिर है जो जनजातीय समाज के प्रेम भाव और आतिथ्य परंपरा की प्रतिमूर्ति है. यहां निषाद राज का मंदिर है जहां उनकी मित्रता की भावना को पूजा जाता है.'

इस दौरान प्रधानमंत्री ने रावण से युद्ध से पहले राम के रथ का ज़िक्र किया, जो भारत की आगे की यात्रा का एक रूपक है. उन्होंने कहा कि भारत के '2047 के रथ' को साहस और धैर्य से, पहियों से, और सत्य और सदाचार को उसके ध्वज के रूप में संचालित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि शक्ति, बुद्धि, अनुशासन और लोक कल्याण इसके घोड़े होने चाहिए, जबकि करुणा, क्षमा और समता इसकी लगाम होनी चाहिए. मोदी ने कहा, 'जब राष्ट्र सर्वप्रथम आता है तो रामराज्य प्राप्त किया जा सकता है.'