नई दिल्लीः अयोध्या पर हफ्ते में 5 दिन ही सुनवाई होगी. 3 दिन सुनवाई करने की मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की मांग सुप्रीम कोर्ट ने नहीं मानी. धवन ने कहा था कि लगातार सुनवाई से उन्हें तैयारी के लिए पूरा समय नहीं मिल पाएगा. लेकिन कोर्ट ने कहा, "जब आपके जिरह की बारी आएगी, हम बीच में आपको तैयारी ब्रेक दे देंगे."

दरअसल, गुरुवार को कोर्ट ने ये तय किया था कि वो हफ्ते में 3 की बजाय 5 दिन अयोध्या मामले की सुनवाई करेगा. आज सुबह 10.30 पर 5 जजों की संविधान पीठ में सुनवाई शुरु होते ही दो मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन खड़े हो गए. उन्होंने कहा, "इतनी तेज़ सुनवाई से मुझे केस की तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाएगा. अगर कोर्ट ने ऐसे सुनवाई की तो मुझे केस छोड़ना पड़ेगा."

धवन ने केस के लिए गहरी तैयारी की ज़रूरत बताते हुए ये तक कह दिया कि उन्हें लगता है कि जजों ने भी हाई कोर्ट का पूरा फैसला नहीं पढ़ा होगा. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है 5 जजों में से शायद सिर्फ जस्टिस चंद्रचूड़ ने ही पूरा फैसला पढ़ा होगा. मुझे तो दूसरी भाषाओं से अंग्रेज़ी में हुए दस्तावेजों के अनुवाद और बहुत सारे फैसलों का भी अध्ययन करना है."

मुस्लिम पक्ष के वकील के इस तरह के रुख पर बेंच के जज कुछ हैरान नज़र आए. हालांकि, बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने नर्म लहज़े में कहा, "आपने अपनी बात रख दी है. हमें इस पर जो भी कहना है, वो हम जल्द ही आपको बताएंगे."

दोपहर बाद करीब 3.55 पर दिन की सुनवाई खत्म करते वक्त कोर्ट ने साफ कर दिया कि वो मामले पर हफ्ते में 5 दिन ही सुनवाई करेगा. कोर्ट ने कहा कि अगर धवन तैयारी के लिए समय मांगेंगे तो उन्हें समय दे दिया जाएगा. मामले से जुड़े वकीलों का मानना है कि कोर्ट उस दौरान किसी और पक्ष के वकील को जिरह के लिए बोल देगा. लेकिन सुनवाई नहीं रोकी जाएगी. कोर्ट की मंशा 70 साल से लंबित इस विवाद के जल्द निपटारे की है.

आज सुनवाई में क्या हुआ रामजन्मभूमि मामले पर चल रही सुनवाई का आज चौथा दिन था. पूरा दिन रामलला विराजमान की तरफ से पूर्व एटॉर्नी जनरल के परासरन दलीलें रखते रहे. कानून के अलावा धार्मिक विषयों के भी गहरे जानकार परासरन ने धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं का हवाला दिया. उन्होंने कहा, "जिस जगह का यहां मुकदमा चल रहा गया, उसे श्रीराम का जन्मस्थान मान कर श्रद्धालु सैकड़ों साल से उसके चारों तरफ परिक्रमा करते हैं. करोड़ों लोगों की इस आस्था को पहचानना और उसे मान्यता देना कोर्ट की ज़िम्मेदारी है."

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में बकरीद की छुट्टी होने के चलते अगली सुनवाई मंगलवार, 13 अगस्त को होगी. उस दिन भी परासरन अपनी दलीलें जारी रखेंगे.

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