बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासी माहौल में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. Axis My India के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक प्रदीप गुप्ता का कहना है कि भले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ जनता में एंटी-इंकम्बेंसी (विरोध की लहर) साफ दिख रही है, लेकिन इसका सीधा फायदा तेजस्वी यादव को नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) को मिल सकता है. प्रदीप गुप्ता ने कहा कि नीतीश कुमार के शासन को दो दशक हो चुके हैं और लोगों में बदलाव की चाह है. उन्होंने आगे कहा कि '20 साल की सरकार के बाद नीतीश कुमार के खिलाफ नाराजगी तो है, इसमें कोई शक नहीं. लेकिन सवाल यह है कि यह नाराजगी किसके खिलाफ है? क्योंकि नीतीश ने कभी बीजेपी के साथ तो कभी आरजेडी–कांग्रेस के साथ सरकार चलाई है. इसलिए यह एंटी-इंकम्बेंसी सामूहिक है, किसी एक दल के खिलाफ नहीं.'

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BJP के लिए खुल सकती है नई राहगुप्ता के मुताबिक, कई परंपरागत BJP समर्थक अब यह मानने लगे हैं कि पार्टी को बिहार में भी अपने दम पर सरकार बनानी चाहिए, जैसे उसने ओडिशा, असम, कर्नाटक और त्रिपुरा में किया है. उन्होंने कहा, 'लोगों ने लालू और नीतीश - दोनों का शासन देख लिया. अब एक बड़ा वर्ग यह सोच रहा है कि क्यों न एक बार BJP को मौका दिया जाए.'

नई पीढ़ी चाहती है बदलावAxis My India के प्रमुख ने बताया कि बिहार की आबादी में जनरेशनल और डेमोग्राफिक शिफ्ट हो रहा है. 'नई पीढ़ी नई सोच के साथ आ रही है और बदलाव चाहती है. इसलिए नीतीश कुमार के खिलाफ जो विरोध है, उसका फायदा तेजस्वी को मिले या नहीं, लेकिन BJP को मिलना भी संभव है,' उन्होंने कहा.

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दो नए फैक्टर बदल सकते हैं खेलगुप्ता ने बताया कि इस बार बिहार की राजनीति में दो नए फैक्टर उभरे हैं. प्रशांत किशोर की नई पार्टी का आगमन, और चुनाव आयोग की मतदाता सूची का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR). उन्होंने कहा, 'ये दोनों फैक्टर बिल्कुल नए हैं, इसलिए पिछले चुनावी पैटर्न के आधार पर भविष्यवाणी करना मुश्किल है. हम ग्राउंड सर्वे जरूर करते हैं, लेकिन इस बार तस्वीर अलग है.' जब उनसे पूछा गया कि क्या वे बिहार चुनाव पर कोई शुरुआती अनुमान देना चाहेंगे, तो गुप्ता ने कहा, 'अभी कुछ कहना बहुत जल्दबाजी होगी. इस बार के चुनाव में इतने नए बदलाव हैं कि पिछली बार के आंकड़ों से तुलना करना मुश्किल है. हम आखिरी वक्त तक इंतजार करेंगे.'