नई दिल्ली: सियाचिन में एवलांच यानि बर्फीले तूफान की चपेट में आने से चार जवान सहित छह लोगों की मौत हो गई है. दो जवान अभी अस्पताल में भर्ती हैं. सेना के श्रीनगर स्थित प्रवक्ता राजेश कर्नल के मुताबिक, सोमवार की दोपहर करीब तीन बजे सियाचिन ग्लेशियर के उत्तरी सेक्टर में करीब 19 हजार फीट की उंचाई पर‌ बर्फीले तूफान आने से वहां तैनात आठ जवान उसकी चपेट में आ गए. इन जवानों में दो सिविलयन पोर्टर भी थे. बताया जा रहा है कि ये सभी जवान उस वक्त पैट्रोलिंग पर थे.‌ ये जवान डोगरा रेजीमेंट के थे.


तूफान की चपेट में फंसने की खबर मिलते ही नजदीक की एक चौकी से रेस्कयू और मेडिकल टीम को वहां रवाना किया गया. शाम को सभी आठ जवानों और पोर्टर्स को सुरक्षित बर्फ से निकाल लिया गया और हेलीकॉप्टर से लेह स्थित मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया. लेकिन 'एक्सट्रीम हाईपोथर्मिया' के चलते चार जवान और दो पोर्टर्स की मौत हो गई. दो जवान अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं जिसमें से एक की हालत गंभीर बनी हुई है.‌


आपको बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर हाल ही में बने केंद्र शासित प्रदेश, लद्दाख का हिस्सा है और दुनिया का सबसे उंचा रणक्षेत्र माना जाता है. वर्ष 1984 में भारतीय सेना ने इस ग्लेशियर को ऑपरेशन मेघदूत के बाद अपने अधिकार-क्षेत्र में कर लिया था क्योंकि पाकिस्तान इसपर कब्जा करने के फिराक में था. तब से भारतीय सैनिक यहां पर तैनात हैं. सियाचिन ग्लेशियर पर सबसे उंची चोटी करीब 24 हजार फीट की उंचाई पर है. अभी तक पूरी तरह फौजी एरिया रहे सियाचिन को अब पर्यटकों के लिए खोलने का ऐलान किया गया है.


वर्ष 2016 में भी सियाचिन के नार्दन सेक्टर में एवलांच आने से 10 जवानों की मौत हो गई थी. इनमें से एक हनुमंथप्पा छह दिन बाद 35 फीट बर्फ के नीचे से जिंदा निकले थे. लेकिन बाद में दिल्ली के आरएंडआर अस्पताल में उनकी भी मौत हो गई थी. सियाचिन ग्लेशियर ही भारत का एक मात्र ऐसा रणक्षेत्र है जहां मौसम से होने वाली मौत के बाद भी जवान को 'किल्ड इन एक्शन' ('वीरगति') का दर्जा दिया जाता है.


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