नई दिल्ली: ऑटोमोबाइल सेक्टर में जारी सुस्ती के मद्देनजर मारुति सुजुकी इंडिया के 3,000 से ज्यादा अस्थायी कर्मचारियों की नौकरी चली गई है. कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी. मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव ने 16 अगस्त को कहा कि वाहन उद्योग में नरमी को देखते हुए अस्थायी कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट को रिन्यू नहीं किया गया है जबकि स्थायी कर्मचारियों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ा है.


भार्गव ने कहा , "यह कारोबार का हिस्सा है, जब मांग बढ़ती है तो अनुबंध पर ज्यादा कर्मचारियों की भर्ती की जाती है और जब मांग घटती है तो उनकी संख्या कम की जाती है." उन्होंने कहा , "मारुति सुजुकी से जुड़े करीब 3,000 अस्थायी कर्मचारियों की नौकरी चली गई है." भार्गव ने दोहराया कि वाहन क्षेत्र अर्थव्यवस्था में बिक्री, सेवा, बीमा, लाइसेंस, वित्तपोषण, चालक, पेट्रोल पंप, परिवहन से जुड़ी नौकरियां सृजित करता है. उन्होंने चेताया कि वाहन बिक्री में थोड़ी सी गिरावट से नौकरियों पर बड़े पैमाने पर असर पड़ेगा.


कंपनी ने की छूट की मांग
कंपनी ने कार की गिर रही मांग को देखते हुए सरकार से छूट की मांग की है. कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया ने इलेक्ट्रिक-वाहनों के साथ ही हाइब्रिड और सीएनजी कारों के लिये भी कर में छूट देने की मांग की है. आरसी भार्गव ने रविवार को कहा कि निजी तौर पर मैं पर्यावरण-अनुकूल कारों को जीएसटी का लाभ मिलते देखना चाहूंगा. सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर कर से छूट दे रही है लकिन यह लाभ हाइब्रिड कारों को मिलना चाहिये. सीएनजी वाहनों पर भी कर छूट मिलनी चाहिये.


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गौरतलब है कि जीएसटी परिषद ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर कर की दर पिछले महीने 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी. इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जरों पर भी कर की दर 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दी गयी. हाइब्रिड और सीएनजी वाहनों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है.