Assam Mizoram Border Dispute: असम-मिजोरम सीमा पर संघर्ष जारी है. केंद्र सरकार की मध्यस्थता के बाद भी दोनों राज्यों के बीच रिश्ते अभी तक सामान्य नहीं हो पाए हैं. असम-मिजोरम सीमा विवाद पर असम के मंत्री अशोक सिंघल का कहना है कि पब्लिक को रोका जा सकता है, इमोशन को नहीं.


अशोक सिंघल ने कहा, 'सरकार की ओर से कोई नाकाबंदी नहीं है. अगर है तो हम जल्द से जल्द सूचित करेंगे. अगर जनता नाकाबंदी कर रही है तो हम इसमें क्या कर सकते हैं. यहां 6 लोगों की मौत हो चुकी है, जनता गुस्से में है. अगर लोग गुस्से से कुछ करेंगे तो हम इसके बारे में क्या कर सकते हैं? हम जनता को रोक सकते हैं लेकिन भावनाओं को नहीं रोक सकते. ये इमोशनल मसला है. 6 लोगों की मौत हो चुकी है.


असम के मंत्री ने बताया, 'एलएमजी का इस्तेमाल लोगों को मारने के लिए किया गया है. क्या आप सोच सकते हैं? एक देश में दो राज्य पुलिस आपस में बात कर रही है और बिना उकसावे के लोगों को एलएमजी इस्तेमाल करने पर गोली मार दी गई है. 32 मिनट तक फायरिंग चली. 6 लोगों की मौत और आप मुझे बता रहे हैं कि आप अपने लोगों को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं. अगर वे अपनी पुलिस को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं जो अनुशासन की रक्षा के लिए प्रभारी हैं, तो हम उन्हें कैसे रोक सकते हैं?'






मिजोरम ने आरोप लगाया था की ये झड़पें मिजोरम की जमीन पर पुलिस के अतिक्रमण के कारण हुई हैं. इन आरोपों से इनकार करते हुए सिंघल ने कहा कि शिलांग में मिजोरम के CM से माननीय सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि इस मुद्दे को बैठकर सुलझा लेते हैं.


आरोपों से इनकार


सिंघल ने मिजोरम के आरोपों से इनकार करते हुए कहा, 'वे झूठ बोलते हैं. हमारे माननीय सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने शिलांग में माननीय सीएम मिजोरम से घोषणा की थी कि हम बैठेंगे और आप हमें जो सीमा चाहिए वह बताएं, लेकिन इसे अंतिम रूप दें. आए दिन अतिक्रमण सही नहीं है. आइए उन पदों को स्वीकार करें जो प्रत्येक पार्टी के पास 1 अप्रैल 2020 तक हैं. उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, उन्होंने कहा कि उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया. तब सरमा ने कहा कि चलो मई 2021 से राज्य के सीएम के रूप में चुने जाने के दिन से हमारे क्षेत्रों का चार्ट बनाते हैं. वह भी उन्होंने स्वीकार नहीं किया. इसके बाद वे पुलिस पर हमला कर देते हैं. वे क्या चाहते हैं?'


सिंघल ने यह भी बताया की कानून का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. असम के सीएम ने कहा था की यह घटना मिजोरम की ओर से नशीली दवाओं के प्रतिशोध के खिलाफ असम द्वारा उठाए गए कदमों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई थी. इस पर भी कछार के संरक्षक मंत्री अशोक सिंघल ने कहा, 'कानून का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. मध्य प्रदेश के विधायक मंत्री बीच में नहीं आते. म्यांमार से जो भी चीजें आती हैं, वे इसी रास्ते से आती है और पंजाब तक जाती हैं. हमारे सीएम ने इन्हें रोका है, श्वास तंत्र में प्लग लगाए हैं. इसलिए बेचैनी होगी. यह उसी का संकेत है.'


बाधाओं का सामना करने के लिए तैयार


अशोक सिंघल ने आगे बताया, 'हम हर तरह की बाधाओं का सामना करने के लिए तैयार हैं. सीएम ने साफ तौर पर कहा है कि जमीन से कोई नशा नहीं गुजरेगा. यहां से किसी भी मवेशी की तस्करी बांग्लादेश नहीं की जाएगी. कहीं और नौकरी के वादे आदि के लिए बाल तस्करी नहीं होगी. उनके आदर्श बहुत स्पष्ट हैं और उसी के अनुसार हो रहा है.' असम के कछार जिले और मिजोरम के कोलासिब जिले में फैले सीमा क्षेत्र से सरकारी वाहनों पर गोलीबारी और हमले के आरोप लगते रहे हैं.


केंद्रीय गृह मंत्रालय के जरिए दिल्ली में बुलाई गई एक बैठक में असम और मिजोरम के मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुखों ने सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए एक वरिष्ठ केंद्रीय पुलिस अधिकारी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय राजमार्ग 306 पर एक तटस्थ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की तैनाती पर सहमति व्यक्त की. बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि दोनों राज्य सीमा विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत जारी रखने पर सहमत होने के अलावा केंद्रीय शांति सेना के कामकाज को सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्र सरकार के साथ समन्वय में व्यवस्था करेंगे. 


बुधवार को दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों और गृह मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित समझौते में कहा गया है, 'एक वरिष्ठ सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) के तहत एनएच 306 के साथ अशांत असम-मिजोरम सीमा क्षेत्र में तटस्थ बल तैनात किया जाएगा.' वहीं मिजोरम पुलिस ने सोमवार को असम के अधिकारियों की एक टीम पर कथित रूप से गोलीबारी की, जिसमें असम पुलिस के पांच जवान और एक नागरिक की मौत हो गई और एक पुलिस अधीक्षक सहित 50 से अधिक लोग घायल हो गए.


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आठ पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत के दो दिन बाद यह घटना हुई और सीमा विवादों को हल करने की आवश्यकता को रेखांकित किया. हालांकि पूर्वोत्तर में सीमा रेखा का शूटिंग मैच में बदलने का यह पहला उदाहरण नहीं है. 1985 में असम और नागालैंड के बीच इस तरह के भड़कने के पहले के उदाहरण हैं, जिसमें 40 से अधिक लोग मारे गए थे.


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