जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के निर्देश पर आज एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने असम के ग्वालपारा जिले का दौरा किया, जहां हाल ही में असम के आशडूबी और हसीलाबेल क्षेत्रों में असम सरकार की ओर से तोड़फोड़ कार्रवाई के तहत कई घरों को ध्वस्त कर दिया गया है.

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जमीयत का दावा है कि इन इलाकों में अधिकतर पीड़ित बंगाली मूल के मुसलमान हैं. यह प्रतिनिधिमंडल जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में असम पहुंचा है.

CM हिमंत बिस्वा सरमा के नाम ज्ञापन 

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प्रतिनिधिमंडल ने जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें तोड़फोड़ कार्रवाई को अमानवीय, असंवैधानिक और धार्मिक भेदभाव पर आधारित बताया गया. ज्ञापन में कहा गया है कि यह तोड़फोड़ की कार्रवाइयां केवल उन इलाकों में की गईं, जहां विशेषकर बंगाली मुसलमान बसे हुए थे, जबकि उसी जमीन पर रहने वाले अन्य समुदायों के निवासियों को नहीं छेड़ा गया. ये भेदभावपूर्ण रवैया है और धार्मिक आधार पर पक्षपात का खुला उदाहरण है.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना 

ज्ञापन में आगे कहा गया है कि प्रभावित लोग गत 70-80 वर्षों से इन्हीं जमीनों पर रह रहे हैं, जिनमें से अधिकांश संख्या ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ के कारण विस्थापित हुए लोगों की है और वह सभी अधिकारिक रूप से भारतीय नागरिक हैं. उनको बेदखल करना न्याय और मानवीय मूल्यों के विरुद्ध है.

कहा गया कि कई क्षेत्रों में तोड़फोड़ की कार्रवाई औद्योगिक या निजी स्वार्थों के लिए की गई और प्रभावित लोगों को पूर्व सूचना देना भी जरूरी नहीं समझा गया, जो कानूनी बाध्यताओं और सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों की अवहेलना है. ज्ञापन में मांग की गई है कि बेदखली से पैदा हुए गंभीर मानवीय संकट से निपटने के लिए तत्काल प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए कदम उठाए जाएं.

बेदखल लोगों को सरकार दे मुआवजा

ज्ञापन में आगे कहा गया कि असम में अभी भी विशेष सरकारी जमीन का एक बड़ा हिस्सा उपलब्ध है. सरकार को चाहिए कि वह इन बेदखल लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था और मुआवजा देने के लिए आगे आए. जब तक स्थायी व्यवस्था न हो जाए, तब तक सरकार अस्थायी रूप से इन प्रभावित लोगों को भोजन और आश्रय प्रदान करना चाहिए. हमें उम्मीद है कि सरकार इस संबंध में आवश्यक कदम उठाएगी.

कार्रवाई में कुल 8115 परिवार प्रभावित

असम जमीयत उलमा के अध्यक्ष मौलाना बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व में तैयार की गई प्रारंभिक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में भी कहा गया है कि ग्वालपारा, धुबरी और नलबारी जिलों सहित अलग-अलग इलाकों में कुल 8115 परिवार प्रभावित हुए हैं.

इसकी वजह से 32530 से अधिक लोग, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं, बेघर हो चुके हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2023 से जुलाई 2025 तक चलने वाली तोड़फोड़ की कार्रवाइयों में 21 मस्जिदों, 44 मकतब और मदरसों और 9 ईदगाहों को भी ध्वस्त किया जा चुका है. 

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