Religious Freedom: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने देश में मुसलमानों के खिलाफ बढ़ रही घटनाओं पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने शुक्रवार (14 मार्च) को एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सम्मान और गरिमा प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है जिसे संविधान की ओर से सुरक्षित किया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुसलमानों के खिलाफ मनमाने ढंग से शक्तियों का दुरुपयोग किया जा रहा है जिससे उनके अधिकारों का हनन हो रहा है.
ओवैसी ने अपने भाषण में भाजपा नेताओं की ओर से हाल ही में दिए गए कुछ बयानों पर नाराजगी जताई. उन्होंने पश्चिम बंगाल के नेता शुभेंदु अधिकारी के उस बयान की निंदा की जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के मुस्लिम विधायकों को विधानसभा से बाहर कर दिया जाएगा. इसके अलावा उन्होंने उत्तर प्रदेश के एक भाजपा नेता की टिप्पणी पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी जिसमें होली के दौरान मुस्लिम पुरुषों को तिरपाल से बने हिजाब पहनने की सलाह दी गई थी. ओवैसी ने कहा कि इस तरह के बयान न सिर्फ भेदभाव को बढ़ावा देते हैं बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ भी हैं.
नमाज को लेकर CM योगी आदित्यनाथ की अपील का विरोध
ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस टिप्पणी पर भी सवाल उठाया जिसमें उन्होंने मुसलमानों से होली के दिन घर पर ही नमाज अदा करने की अपील की थी. ओवैसी ने संविधान के अनुच्छेद-25 का हवाला देते हुए कहा कि भारत में हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता है और कोई भी सरकार या मुख्यमंत्री इस अधिकार को छीन नहीं सकता. उन्होंने कहा "एक मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि जुमे की नमाज घर पर पढ़ी जा सकती है, लेकिन क्या मुझे उनसे धर्म सीखना चाहिए? हमारे संविधान ने हमें धार्मिक स्वतंत्रता दी है और हम अपने धर्म का पालन उसी तरह करेंगे जैसे हम करना चाहते हैं."
विभाजन पर ओवैसी की प्रतिक्रिया
अपने भाषण के दौरान ओवैसी ने 1947 के विभाजन का उल्लेख करते हुए कहा कि जो लोग पाकिस्तान चले गए उन्हें डरपोक समझा गया जबकि जो भारत में रहे उन्होंने इसे अपनी मातृभूमि माना और हमेशा इसे अपना देश मानते रहेंगे. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को हमेशा अपने वतन पर गर्व रहा है और वे किसी भी तरह के भेदभाव को सहन नहीं करेंगे.